भारतवर्ष की सारी सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व रहा : विनोद द्विवेदी

--रानी रेवती देवी में चार दिवसीय क्षेत्रीय संगीत वर्ग का समापन

प्रयागराज, 12 फरवरी (हि.स.)। विद्या भारती से संबद्ध काशी प्रांत के रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज, राजापुर में प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडेय के नेतृत्व में चल रहे चार दिवसीय क्षेत्रीय संगीत वर्ग का समापन हुआ। विनोद द्विवेदी ने कहा कि भारतवर्ष की सारी सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व रहा है।

अखिल भारतीय संगीत संयोजक विद्या भारती तथा देश के प्रसिद्ध ध्रुपद गायक विनोद द्विवेदी के मार्गदर्शन में विद्या भारती के अंतर्गत चल रहे संगीत के समस्त क्रियाकलापों एवं पाठ्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय संगीत प्राचीन काल से भारत में सुना और विकसित होता संगीत है। इसका प्रारम्भ वैदिक काल से भी पूर्व का है। संगीत का मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। उन्होंने कहा कि हिन्दू परम्परा में ऐसा मानना है कि ब्रह्मा ने नारद मुनि को संगीत वरदान में दिया था। गायन, वाद्य वादन एवं नृत्य। तीनों कलाओं का समावेश संगीत शब्द में माना गया है। भारतीय संगीत की दो प्रकार प्रचलित है। प्रथम कर्नाटक संगीत, जो दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रचलित है और हिन्दुस्तानी संगीत शेष भारत में लोकप्रिय है।

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान के अंतर्गत पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्रीय संगीत प्रमुख मनोज गुप्ता ने बताया कि चार दिवसीय क्षेत्रीय संगीत वर्ग में पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागी संगीताचार्यों ने क्षेत्रीय संगठन मंत्री पूर्वी उत्तर प्रदेश हेमचंद्र, प्रांतीय संगठन मंत्री काशी प्रांत डॉ राम मनोहर, प्रांत निरीक्षक काशी प्रदेश शेषधर द्विवेदी, पूर्व क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय उपस्थित रहे। मनोज गुप्ता ने बताया कि समस्त प्रतिभागियों एवं अतिथियों को अयोध्या के भगवान श्री राम की बाल रूप की मूर्ति एवं अंगवस्त्र द्वारा सम्मानित किया गया। स्वागत क्षेत्रीय संगीत प्रमुख मनोज गुप्ता एवं आभार ज्ञापन सह क्षेत्र संगीत प्रमुख बृजराज दुबे ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन

   

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