नागदा: खुशी को खरीदा नहीं जाता यह इंसान में छिपी है: ब्रहाकुमारी ऐश्वर्या

नागदा, 28 फ़रवरी (हि.स.)। खुशी को धन से नहीं खरीदा जा सकता है। उसकी कोई दुकान नहीं है, जहां से उसे खरीदा जा सकता है। आतंरिक खुशी तो प्रत्येक इंसान में छिपी हुई है जिसको स्वयं प्राप्त किया जा सकता है। यह बात ब्रहाकुमारी ईश्वरीय विश्व विधालय द्धारा आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन ब्रहाकुमारी ऐश्वर्या दीदी (महाराष्ट) ने कहीं। विषय खुशनुमा जीवन जीने की कला पर बोलते हुए कहा पैसो से खरीदे भौतिक साधन आराम दिला सकते हैं, लेकिन खुशी संभव नहीं है।

उन्होंने आंतरिक खुशी को प्राप्त करने की टिप्स पर प्रकाश डाला और कहा, सकारात्कता से खुशी का दरवाजा खुलता है। व्यक्ति के सामने परिस्थतियां कैसी भी हो सकारात्मक विचार रखना चाहिए। जीवन में शिकायत कम और शुक्रिया ज्यादा अदा करें । खुश रहना है तो वर्तमान में जीना सीखना होगा और पिछली घटनाओं से मुंह मोड़ना होगा । सब कुछ ईश्वर पर छोड़े वह किसी का बुरा नहीं करेगा। कार्यक्रम में बतौर अतिथि बा्रहाण समाज के संरक्षक गुलजारी लाल त्रिवेदी एवं व्यापारी संघ के दिलीप कांठेड मौजूद थे। ब्रहाकुमारी केंद्र प्रभारी पूनम दीदी ने भी मंच साझा किया। इस अवसर पर पूनम दीदी ने कहा खुशियां बांटने से बटती है। यह जीवन में चंदन की तरह महकती है।प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत ज्योति मनोहर शर्मा ने किया।

रोशनी के साथ सुख- शांति की कामना

इस मौके पर एक अभिनव कार्यक्रम भी किया गया। प्रत्येक श्रोताओं ने अपने- अपने मोबाईल से उजाला कर शहर में सुख शाति के लिए कामना की। व्याख्यान माला में डा. प्रदीप रावल, मजदूर नेता विजयसिंह रघुवंशी, कवि निर्भयसिंह रघुवंशी, पत्रकार विजय रघुवंशी, योगेश शुक्ला, नागेंद्रंिसह राठौर समेत गणमान्य ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन ब्रहाकुमारी रूबी दीदी ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ कैलाश सनोलिया

   

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