(अपडेट)मुरैना: अंग्रेजों के जमाने में बना रेलवे का पुल गिरा, पांच मजदूर घायल

क्षतिग्रस्त पुल तथा हादसे में घायल मजदूर 

- पुल हटाते समय हुआ हादसा

मुरैना, 02 अप्रैल (हि.स.)। स्वतंत्रता से पूर्व सिंधिया रियासत के दौरान बनाया गया नैरोगेज रेलवे का पुराना पुल जौरा क्षेत्र के सिकरौदा में उस समय अचानक भरभराकर गिर गया जब वहां मजदूर काम कर रहे थे। इस हादसे में पांच मजदूर दबकर घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसे के समय वहां काम कर रहे मजदूर पुल को काटने का काम कर रहे थे। इसी दौरान मिट्टी धंसक गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जौरा से लगभग 5 किलोमीटर दूर सिकरौदा गांव के पास सोन नदी पर सिंधिया रियासत के जमाने में नैरोगेज रेल का पुल बनाया गया था। चूंकि नैरोगेज अब ब्रोडगेज में परिवर्तित हो गया है और वहां नया पुल भी बन गया, इसलिए यह पुराना पुल अनुपयोगी हो गया। इसलिए इसे कोटा की एक फर्म को बेच दिया गया। इस फर्म के मजदूर ही पुल को हटाने का कार्य कर रहे थे। मजदूर एक तरफ से पुल काटकर हटा ही रहे थे कि अचानक वह भरभराकर गिर गया, जिससे वहां काम कर रहे पांच मजदूर घायल हो गए।

घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर तत्काल नगर निरीक्षक उदयभान सिंह पहुंचे और उन्होंने घायलों को इलाज हेतु जौरा अस्पताल भिजवाया। तीन लोगों की अधिक चोट होने से उन्हें जिला चिकित्सालय के लिए रेफर किया गया।

ये हुए घायल

मंगलवार की सुबह हुए पुल हादसे में घायल मजदूरों में फिरोज खान (32) पुत्र अनवर खान निवासी मुरैना, लालू खान (35) पुत्र शिवराज गोहद गांव गडरोली जिला भिण्ड, इकबाल खान (38) पुत्र पान खान निवासी पिपरई, सुवराती (26) पुत्र इदा खान निवासी सजंय नगर अम्बाह मुरैना, भोला खान (32) पुत्र पप्पू निवासी ग्वालियर, उदयवीर(25) पुत्र लज्जा राम निवासी मुरैना शामिल हैं।

आधा घंटे तक नहीं आई एंबुलेंस: पुल हादसे में घायल लोगों का जौरा हॉस्पिटल में जब इलाज चल रहा था और मुरैना जिला चिकित्सालय के लिये रैफर कर रहे थे, तब जौरा हॉस्पिटल की एम्बुलेंस मोके पर नहीं थी। जिसके लिये 30 मिनट एम्बुलेंस के लिये इंतजार करना पड़ा। इसके बाद जिला चिकित्सालय रेफर करना पड़ा। जौरा अस्पताल में एम्बुलेंस की कोई भी व्यवस्था नहीं थी, जिस के कारण गम्भीर मरीजों को रैफर करने में देरी हुई।

सिलेंडर से हो सकता था बड़ा हादसा: सिकरौदा में पुल के नीचे सोन नदी में जब आधा दर्जन मजदूर दब गये थे, तब उनके साथ ही गैस वेल्डिंग के सिलेंडर भी गिर गये, जिससे नदी में बुलबुले की आवाज आने लगी। गैस बेल्डिंग के सिलेंडर अगर पानी की जगह अन्य स्थान पर गिरते तो बड़ा हादसा हो सकता था।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद

   

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