संस्कृत से रोजगार एवं व्यक्तित्व निर्माण दोनों संभव: प्रो. सन्तोष

गोरखपुर, 6 अप्रैल (हि.स.)। जवाहरलाल नेहरू केंद्रीय विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संस्कृत एवं प्राच्य अध्ययन केंद्र के आचार्य प्रो. संतोष कुमार शुक्ल ने कहा कि संस्कृत से रोजगार एवं व्यक्तित्व निर्माण दोनों संभव है।

वह शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृ़त विभाग में आयोजित व्याख्यान को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा एवं शास्त्र में विशेष योग्यता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि ग्रन्थों का प्रतिदिन पारायण किया जाए तथा भाषा के रूप में संस्कृत का निरंतर प्रयोग हो। छात्रों के लिए यह दोनों ही कार्य उन्हें इस प्राचीन विद्या मे दक्ष करने में परम सहायक होंगे। उन्होंने छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए।

इससे पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. कीर्ति पाण्डेय व समन्वयक डॉ लक्ष्मी मिश्रा ने अतिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ. देवेंद्र पाल, डॉ सूर्यकांत, डॉ. धर्मेंद्र सिंह, डॉ. रंजन लता, डॉ स्मिता, डॉ . मृणालिनी, डॉ ज्ञानधर भारती एवं डॉ अर्चना शुक्ला आदि मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन

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