वासंतिक नवरात्र में परिजनों ने 24000 गायत्री मंत्र जाप का अनुष्ठान का लिया संकल्प

सहरसा-गायत्री शक्तिपीठ

सहरसा,09 अप्रैल (हि.स.)।गायत्री शक्तिपीठ में मंगलवार को चैत्र वासंतिक नवरात्रि कलश स्थापन के साथ धूमधाम से मनाई गई।इस अवसर पर डाॅ. अरुण कुमार जायसवाल ने कहा-बसंत क्या है।सृष्टि का जन्मोत्सव है।कहते हैं चैत्र प्रतिपदा को ब्रह्माजी ने सृष्टि का सृजन किया।आज बासंती नवरात्रि का प्रथम दिन है।वसंत क्या है।प्रकृति का श्रृंगार है।बासंती नवरात्रि पुरूष और प्रकृति के मिलन का पर्व है।बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है।बसंत में जीवन का नया आयाम काल होता है।यह संधिकाल है जाड़ा और गर्मी का मिलन काल है।

उन्होंने कहा बासंती नवरात्रि का मतलब नई सीढ़ियां। हम नौ दिनों तक एक एक कदम बढाएंगे।उन्होंने कहा-आज नवरात्रि का प्रथम दिन मां आदिशक्ति शैलपुत्री है।आज हम आधार चक्र का ध्यान कहते हुए पूजन करेंगे।आज हमारे अंदर की उर्जा का जागरण होगा।फिर हमारे अंदर स्थिरता आएगी तभी माता शैलपुत्री का आगमन हमारे अंदर हो पायेगा।

उन्होंने कहा कि शैलपुत्री यानी स्थिर मन।शैलपुत्री का मतलब है हिमालय की पुत्री।हिमालय स्थिरता का प्रतीक है।जीवन जब स्थिर हो जाता है,तन और मन जब स्थिर हो जाता है तभी हमारी साधना फलवती होती है।जीवन में कोई भी साधना कोई भी तपस्या बिना स्थिरता पूरी नहीं हो सकती।पार्वती साधना के लिए जानी जाती है।अगर स्थिरता है तो साधना है।इस नौ दिनों तक हमारे तन को और मन को शांत होनी चाहिए तभी आप साधना कर पाएंगे।

गायत्री को त्रिपदा कहा जाता है।महा सरस्वती प्रकाश का वरण करें, प्रकाश को धारण करें तथा गमन करेंगे।इस अवसर पर चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन कलश की स्थापना विधि-विधान से पूजन अर्चन के साथ की गई तथा जयन्ती जन्माया गया।नवरात्रि का पूर्णाहुति 17 अप्रैल को होगी तथा इस अवसर पर सभी प्रकार के संस्कार संपन्न होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा

   

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