जीवन का प्रोफेसर बनना है तो सत्यार्थ प्रकाश पढ़ें : डा. सत्यपाल

हरिद्वार, 09 अप्रैल (हि.स.)। गुरूकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा सत्यपाल सिंह ने आर्य समाज स्थापना दिवस के अवसर पर कहा कि जीवन का प्रोफेसर बनना है तो ऋषि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश को पढ़ना चाहिए। आनन्द ज्ञान से मिलता है। भौतिकी विज्ञान के प्रकाण्ड विद्वान पं गुरूदत्त विद्यार्थी ने 18 बार सत्यार्थ प्रकाश को पढा था।

उन्होंने कहा कि तिथि और तारीख में बहुत अन्तर है। तिथि वैज्ञानिक है, जिससे ग्रहांे की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। ग्रहों की पूर्व स्थिति जाननी है तो तिथि का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। हमारे पूर्वज तिथि के आधार पर ही नीतिगत निर्णय लिया करते थे।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सोमदेव शतान्शु ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज के सोते हुए लोगो को जगाने का काम किया है। सत्यार्थ प्रकाश पढने वाले जितने भी लोग है आडम्बर और कुरीतियों से काफी दूर रहते हैं। आर्य समाज भारतीय संस्कृति का पोषक है।

इस अवसर पर विश्वपाल जयंत (आधुनिक भीम) ने कहा कि आर्य समाज पद्वति के अनुसार उपवास की परम्परा का निर्वाह व्रत के अनुसार किया जाना चाहिए। शाकाहारी व्यंजनांे के द्वारा उपवास की परम्परा को आगे बढाना चाहिए। उन्होने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने 16 बार जहर पीकर समाज को अमृत देने का काम किया।

आर्य समाज स्थापना दिवस के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ंिसह रावत ने सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय ऐतिहासिक धरोहर है देश की आजादी के आन्दोलन में गुरूकुल कंागडी की महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय भवन उपस्थित आर्यजनों से अनुरोध किया कि देश को मजबूत करने के लिए आगे आकर देशहित में भारतीय संस्कृति व संस्कारंो को पल्लवित करने का काम करे।

इस अवसर पर प्रो. विवेक गुप्ता, प्रो. राकेश कुमार जैन, प्रो. प्रभात सैंगर, प्रो. एलपी पुरोहित, प्रो. अम्बुज शर्मा, प्रो कर्मजीत भाटिया, प्रो सुरेन्द्र त्यागी, प्रो. नवनीत, डा. शिवकुमार चौहान, डा. उधम सिंह, डा. अजेन्द्र, डा. अरुण कुमार, सुभाष चन्द्र, विकास कुमार, नीरज भट्ट, कृष्ण कुमार सहित विभिन्न शिक्षक व शिकेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. हिमांशु पण्डित व बिजेन्द्र शास्त्री ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

   

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