स्वर्णिम एवं गौरवपूर्ण है सीआरपीएफ का इतिहास: राधेश्याम सिंह

खूंटी, 9 अप्रैल (हि.स.)। 94 बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के तजना स्पोर्ट्स कॉप्लेक्स खूंटी में मंगलवार को शौर्य दिवस का आयोजन किया गया।राधेश्याम सिंह कमांडेंट 94 बटालियन सीआरपीएफ ने शहीदों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही उन्होंने क्वार्टर भारत में सलामी ली और सैनिक सम्मेलन के माध्यम से जवानों को शौर्य दिवस के महत्व के बारे में बताया।

उहोंने बताया कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल भारत का ही नहीं, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है। इसका इतिहास स्वर्णिम एवं गौरवपूर्ण है। नौ अप्रैल 1965 का गौरवशाली दिन सीआरपीएफ के लिए ही नहीं, बल्कि सभी वर्दीधारी के लिए गौरव का दिन है, क्योंकि आज ही के दिन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जांबाज द्वारा ऐसा कारनामा किया गया, जिसका कोई अन्य उदाहरण विश्व इतिहास में नहीं मिलता। नौ अप्रैल 1965 को पश्चिम पाकिस्तान की सीमा पर स्थित कच्छ के रन(गुजरात) में सरदार और टाक पोस्ट पर सीआरपीएफ की द्वितीय वाहिनी की चार कंपनियां सुरक्षा व्यवस्था में तैनात थी।

तभी लगभग सुबह 3.30 बजे पाकिस्तान की इन्फेंट्री ब्रिगेड के लगभग 3500 जवानों ने गुपचुप तरीके से सीमावर्ती भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने के नापाक इरादे से ऑपरेशन डेजर्ट हॉक के तहत अचानक हमला कर दिया था। तब उन पोस्टों पर तैनात द्वितीय वाहिनी सीआरपीएफ के जवानों ने साहस और वीरता का परिचय देते हुएश पाकिस्तान की इन्फेंट्री ब्रिगेड के हमले को नाकाम किया। इसमें पाकिस्तानी फौज के 34 सैनिक मारे गये थे और चार को जिंदा पकड़ा गया था।

सीआरपीएफ के जवानोंने बहादुरी से लड़ते हुए पाकिस्तानी इन्फेंट्री ब्रिगेड को 12 घंटे तक रोककर रखा। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के नायकों के वीरतापूर्ण कार्यों की याद को ताजा रखने और इसके अनुकरण के लिए बल के सदस्यों को प्रेरित करने के लिए प्रत्येक वर्ष नौ अप्रैल को शौर्य दिवस का आयोजन किया जाता है। शौर्य दिवस के अवसर पर मृत्युंजय कुमार द्वितीय कमान अधिकारी, अंजन कुमार मंडल उप कमांडेंट के अलावा इस वाहिनी के अन्य अधिकारी और जवान उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल

   

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