45 वर्ष पूर्व की निष्क्रिय प्रणाली पर आज भी नगरवासियों को सप्लाई किया जा रहा पेयजल

-बारिश के दिनों में मटमैले पानी की होती है सप्लाई

बलरामपुर, 17 जून (हि.स.)। किसी भी शहर या ग्राम में निवासरत सभी आम या खास लोगों की प्रमुख आवश्यकता बिजली, पानी, अस्पताल एवं सड़क की होती है। जब कभी भी चुनाव का समय आता है तो सभी नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के घोषणा पत्र में प्रमुख आवश्यकता को पूरा करने के लिए बाध्य दिखाई पड़ते हैं परंतु जिले का सबसे बड़ा शहर रामानुजगंज में पिछले 45 वर्षों में कोई ऐसा जनप्रतिनिधि या उच्च पहुंच वाले नेतागण सक्षम नहीं हुए जो पीने का पानी सुचारू रूप से स्वच्छता के साथ लोगों को दिलाने में कामयाब हो सके। शहर में आज भी 45 वर्ष पूर्व से संचालित हो रहे प्रणाली के माध्यम से ही आज भी नदी का कच्चा पानी सप्लाई किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि, जिले के सबसे बड़े शहर रामानुजगंज में पीने का पानी के लिए काफी समस्या उठानी पड़ रहीं है। क्योंकि नदी के बीच में बना जैकवेल फेलियर घोषित हो गया है, जिस कारण नदी का कच्चा पानी सीधे सप्लाई कर दिया जा रहा है। यहां के लोगों को समुचित एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कोई भी योजना आज तक धरातल पर नहीं बन पाया है।

जानकारी के अनुसार सन 1979-80 में आज के लगभग 45 वर्ष पूर्व शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल देने के लिए एक योजना बनाई गई थी, जिसके माध्यम से लोगों तक पीने का पानी पहुंचाया जाता था। नदी के बीच में बने जैकवेल के माध्यम से नदी के पानी को इंटक वेल में लिफ्ट किया जाता था फिर उसे इंटक वेल से शहर में स्थित फिल्टर प्लांट में लिफ्ट करते हुए नदी के पानी को फिल्टर करते हुए वहीं पर बने हुए पानी टंकी में भरकर शहर में लोगों तक पीने का पानी पहुंचाया जाता था, परंतु वतर्मान स्थिति यह है कि नदी में स्थित जैकवेल फेलियर घोषित हो चुकी है।

उसके बदले एक दो और नए जैकवेल बनाए गए हैं परंतु वह भी कारगर नहीं होने की स्थिति में नदी के रॉ वॉटर को सीधा इंटरसीवेल से फिल्टर प्लांट के लिए भेजा जा रहा है। फिल्टर प्लांट की स्थिति यह है कि वतर्मान में उसके सारे सिस्टम काम नहीं कर रहे हैं जिसका तकनीकी प्रशिक्षण समय-समय पर किसी तकनीकी कर्मचारी या पीएचई के तकनीकी अधिकारियों के द्वारा नहीं किया जाना तथ्यात्मक कारण मानी जाती है, जिस शहर के लोगों को पीने का पानी स्वच्छता के साथ नहीं मिल पा रहा है। वहीं बारिश के दिनाें लाेगाें से मटमैला पानी से गुजारा चलाना पड़ता है। इस कार्य में प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि नगर पालिका की ओर से पीएचई विभाग के तकनीकी समय सेवाएं लेने का प्रयास नहीं किया गया या पीएचई के जिम्मेवार अधिकारी शहर के प्रति अपनी जिम्मेवारी उचित नहीं समझते है।

कायर्यालन अभियंता को कराया गया है अवगत- सीएमओ

मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुधीर कुमार ने आज मंगलवार को बताया कि, इस संबंध में जिले के कलेक्टर के पास मीटिंग में पीएचई विभाग के कायर्पालन अभियंता को पूर्ण समस्या से अवगत कराया गया है। उनके द्वारा इस संबंध में इंटकवेल एवं फिल्टर प्लांट को नए सिरे से निर्माण के संबंध में योजना बनाकर सरकार को देने की बात कही है, जैसे ही वहां से अनुमति मिलती है तो यह कार्य प्राथमिकता के साथ की जाएगी, जिससे यहां की जनता को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध जल उपलब्ध हो सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय

   

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