
मुंबई, 16 अप्रैल (हि.स.)। बांबे हाई कोर्ट ने नवी मुंबई मनपा (एनएमएमसी) को नेरुल में लोटस झील को संरक्षित करने के लिए आस-पास के क्षेत्र किए गए अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक की पीठ ने पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर चिंता जताई। अदालत ने स्पष्ट किया कि नवी मुंबई मनपा याचिका में उठाए गए मुद्दों पर उचित कार्रवाई करे और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करे। एनएमएमसी के वकील तेजेश दांडे ने अदालत को बताया कि एनएमएमसी ने 23 जनवरी 2024 को झील के आस-पास के अतिक्रमण को हटा दिए थे। लेकिन अतिक्रमण फिर से हो गया है। अगली सुनवाई की तारीख को या उससे पहले कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी. इसे संज्ञान में लेते हुए अदालत ने सुनवाई 29 अप्रैल तक स्थगित कर दी। लोटस झील नवी मुंबई के नेरल में लगभग 28 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। यह झील लंबे समय से निवासियों द्वारा संरक्षित है। यह इस क्षेत्र का एकमात्र प्राकृतिक जल निकाय है।
झील के आस-पास अतिक्रमण का मुद्दा साल 2020 में उठा था। स्थानीय माफिया ने कूड़ा-कचरा डालकर और झोपड़ियां बनाकर अतिक्रमण कर झील को डंपिंग ग्राउंड में बदल दिया था। हाई कोर्ट ने झील और उसके आस-पास के मैंग्रोव क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए जलाशय में सिंघाड़ा की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि साल 2021 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि शाहबलूत की खेती जारी रखने से पानी और कमल को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ गया है। याचिका को संज्ञान लेते हुए अदालत ने झील से कचरा और अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। वर्ष 2022 में अतिक्रमण फिर से उभरने पर स्थानीय लोगों ने फिर अंतरिम आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार