पार्किंसन रोग में योग चिकित्सा लाभकारी: ओम नारायण अवस्थी

लखनऊ, 11 अप्रैल (हि.स.)। मानव शरीर का प्रमुख अंग मस्तिष्क है। मस्तिष्क में असंतुलन और डोपामाइन नामक तत्व के कम होने से पार्किंसन रोग उत्पन्न होता है। डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में तैनात योगाचार्य ओम नारायण अवस्थी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि पार्किंसन रोग वात नाड़ी के असंतुलन से होता है। इसलिए इसे कम्पावत भी कहते हैं। वात—पित्त और कफ को असंतुलित करके इस बीमारी को कम किया जा सकता है।

--पार्किंसन रोग में योग चिकित्साओम नारायण अवस्थी ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा और योग चिकित्सा के माध्यम से पार्किंसन रोग को ठीक किया जा सकता है। अग्नि और जल तत्व के असंतुलन से पित्त दोष और जल पृथ्वी तत्व के असुंतलन से कफ दोष उत्पन्न होते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में पेट की गरम एवं ठण्डी सिकाई ​होती है। इसके अलावा सिर पर जलधारा का प्रयोग करते हैं।

--प्रकृति और मानव शरीर की रचना आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी इन पांच तत्वों से हुई है। इन पांच तत्वों में जब असंतुलन होता है तो शरीर बीमार होने लगता है। आकाश और वायु तत्व के असंतुलन से वात दोष उत्पन्न होते हैं। पार्किंसन रोग भी वात दाेष के कारण हाेता है ।

--पार्किंसन रोग में यौगिक प्रबंधन इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए सूक्ष्म यौगिक व्यायाम करना चाहिए। गर्दन, कंधे, कोहनी, कलाई, हाथ की उंगलियां, कूल्हा जोड़, घुटना और पंजे आदि का व्यायाम करें। स्थूल व्यायाम: रेखा गति ​व्यायाम, कदम ताल, स्ट्रेचिंगयोगासन : सेतुबंध आसन,मर्कट आसन करना चाहिए। इसके अलावा प्राणायाम और प्रत्याहार करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

   

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