हाई कोर्ट के फैसले पर बोलीं ममता - शिक्षकों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत

कोलकाता, 03 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने के एकल पीठ के आदेश को खारिज कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला शिक्षकों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।

उन्होंने कहा कि वह नौकरियां छीनने के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि राज्य में रोजगार बढ़ाना चाहती हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि शिक्षकों की नियुक्ति 2014 की शिक्षक पात्रता परीक्षा के आधार पर हुई थी और इतने वर्षों की सेवा के बाद उनकी नौकरी जाना किसी भी तरह उचित नहीं होता।

डिवीजन बेंच के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह माना कि सभी नियुक्तियों में अनियमितता साबित नहीं हुई थी, इसलिए सभी की नौकरी एक साथ रद्द करना न्यायोचित नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि 9 साल बाद नौकरी समाप्त कर देना शिक्षकों और उनके परिवारों पर गंभीर असर डाल सकता था।

वहीं, शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने भी अदालत के फैसले को सच की जीत बताया। उन्होंने साेशल मीडिया ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में लिखा कि 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित है और यह न्याय की विजय है। बसु ने प्राथमिक शिक्षा बोर्ड को भी बधाई दी।

तृणमूल कांग्रेस नेता कुनाल घोष ने साेशल मीडिया ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को बरकरार रखने का फैसला यह साबित करता है कि कुछ राजनीतिक शक्तियों की साजिश नाकाम हो गई। उन्होंने कहा कि कुछ राजनेताओं और वकीलों ने इस मुद्दे को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया और उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि जिस व्यक्ति ने न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठकर इस मामले को राजनीतिक मोड़ दिया और बाद में इस्तीफा देकर राजनीति में शामिल हो गया, उसकी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। घोष ने इसे न्यायपालिका के लिए दुखद मिसाल बताया और कहा कि अदालत को नैतिक आधार पर स्वतः संज्ञान लेकर जांच करनी चाहिए।-----------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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