अधीर रंजन चौधरी ने तृणमूल और भाजपा पर लगाया मतुआ समुदाय को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने का आरोप
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- Dec 01, 2025
कोलकाता, 01 दिसम्बर (हि.स.)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा, विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआइआर) के दौरान मतुआ समुदाय को लगातार अनिश्चितता में धकेलते हुए उन्हें सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने शहर में आयोजित एक बड़े मार्च का नेतृत्व करते हुए कहा कि उत्तर 24 परगना और नदिया में दशकों से रहने वाले कई मतुआ नागरिक, जिनके पास वैध दस्तावेज हैं, उन्हें दोबारा एसआईआर प्रक्रिया से गुजरने पर मजबूर किया जा रहा है।
चौधरी ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची से बड़ी संख्या में मतुआ नागरिकों के नाम हटाने की साज़िश की जा रही है। उन्होंने कहा कि नवम्बर के पहले सप्ताह में मतुआ महासंघ के सदस्यों ने अनिश्चितकालीन उपवास किया, लेकिन न तो भाजपा और न ही तृणमूल ने उनकी मदद की। चौधरी ने कहा कि कांग्रेस भले ही मतुआ समुदाय से वोट न पाती हो, लेकिन वह किसी भी मतुआ का नाम सूची से हटने नहीं देगी।
पूर्व लोकसभा विपक्ष नेता चौधरी ने कहा कि उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र में पांच दिसम्बर को मतुआ नागरिकों के मताधिकार संकट पर अलग से चर्चा कराने की मांग की है। उनका कहना था कि तृणमूल और भाजपा इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठा रहीं। उन्होंने कहा कि तृणमूल ने भले ही एसआईआर पर चर्चा की मांग की हो, लेकिन मतुआ समुदाय के सामने मौजूद खतरे पर अलग और विस्तृत चर्चा जरूरी है।
उन्होंने भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब लाखों मतुआ नागरिक सूची से नाम कटने के खतरे का सामना कर रहे हैं, तब वे चुप्पी साधे हुए हैं। चौधरी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही हैं।
तृणमूल पर हमला तेज करते हुए चौधरी ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने राज्य की कई वक्फ परिसंपत्तियों से जुड़े संगठनों को नोटिस भेजकर उनकी संपत्तियों का विवरण मांगा है। उन्होंने कहा कि एक ओर तृणमूल प्रमुख कहती हैं कि वे वक्फ संशोधन अधिनियम को लागू नहीं होने देंगी, दूसरी ओर उनकी सरकार वक्फ संपत्तियों के डिजिटाइजेशन के लिए जानकारी जुटा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि सियालदह स्टेशन से मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय तक निकला मतुआ समुदाय का यह मार्च पूरी तरह गैर-राजनीतिक था। सिर्फ नागरिकता अधिकारों की रक्षा के लिए निकाला गया।
चौधरी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि तृणमूल ने मतुआ समुदाय का इस्तेमाल किया लेकिन उनके विकास के लिए कुछ नहीं किया, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। अधिकारी ने दावा किया कि मतुआ नागरिकों को एसआईआर से डरने की जरूरत नहीं है और भाजपा यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी मतुआ का नाम मतदाता सूची से न कटे। उन्होंने कहा कि अगर किसी का नाम छूट भी गया तो उसे सीएए के तहत नागरिकता मिल जाएगी और केवल बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों की पहचान की जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर



