डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देने वाले अपराधी नाकाम
आसनसोल, 14 दिसंबर (हि. स.)। सलानपुर थाना अंतर्गत रूपनारायणपुर में साइबर ठगी और तथाकथित डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डराने का एक गंभीर मामला सामने आया। जिसमें एक रेलकर्मी और उनके परिवार ने सतर्कता दिखाकर बड़ी ठगी से खुद को बचा लिया। ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस से जुड़ा बताते हुए आधार कार्ड के दुरुपयोग का हवाला दिया और गिरफ्तारी की धमकी देकर जानकारी हासिल करने की कोशिश की। लेकिन परिवार की समझदारी से उनका मंसूबा विफल हो गया।
जानकारी के अनुसार, रूपनारायणपुर निवासी एवं चित्तरंजन में कार्यरत रेलकर्मी अशोक दत्ता के मोबाइल पर रविवार सुबह करीब साढ़े दस बजे एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाली महिला ने खुद को किसी एजेंसी से जुड़ा बताते हुए कहा कि अशोक दत्ता के आधार नंबर का इस्तेमाल कर मुंबई में एक मोबाइल सिम कार्ड लिया गया है। आरोप लगाया गया कि उसी सिम से संवेदनशील स्थानों पर धमकी भरे फोन किए गए हैं और गैर-कानूनी गतिविधियों में आधार का उपयोग हुआ है।
महिला ने दावा किया कि इस वजह से पूरे मामले की जिम्मेदारी आधार धारक पर ही आएगी।
महिला ने बातचीत के दौरान डर का माहौल बनाते हुए कहा कि मामला बेहद गंभीर है और जरूरत पड़ने पर अशोक दत्ता को मुंबई बुलाया जा सकता है। इसके बाद यह कहा गया कि मुंबई के कोलाबा थाना क्षेत्र का एक अधिकारी उनसे व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर बात करेगा। कुछ ही देर में एक वीडियो कॉल आया, जिसमें पुलिस की वर्दी पहने एक व्यक्ति दिखाई दिया। उसने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए सवाल किया कि क्या अशोक दत्ता का आधार कार्ड खो गया है या उन्होंने कभी मुंबई में इसका उपयोग किया है।
अशोक दत्ता ने साफ तौर पर कहा कि वे कभी मुंबई नहीं गए हैं और उनका आधार कार्ड सुरक्षित है। इस पर कथित अधिकारी ने और अधिक दबाव बनाते हुए कहा कि यदि तुरंत सहयोग नहीं किया गया तो उनके सभी मोबाइल नंबर बंद कर दिए जाएंगे और बैंक व अन्य डिजिटल खाते भी निष्क्रिय कर दिए जाएंगे। इतना ही नहीं, वीडियो कॉल पर आधार कार्ड की तस्वीर दिखाने की मांग की गई और डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी दी गई।
इसी दौरान अशोक दत्ता की पत्नी पोलिकाना दत्ता ने बातचीत सुनी और पूरे मामले पर संदेह जताया। उन्होंने पति से कहा कि यह कॉल फर्जी लग रही है और डरने की जरूरत नहीं है। यह सुनते ही वीडियो कॉल पर मौजूद व्यक्ति ने उन्हें भी डराने की कोशिश की और कहा कि पुलिस तुरंत उनके फ्लैट पर पहुंचकर दोनों को गिरफ्तार कर लेगी।
पोलिकाना दत्ता ने साहस दिखाते हुए जवाब दिया कि वे खुद स्थानीय पुलिस थाने जाकर इस धमकी भरे कॉल की शिकायत दर्ज कराएंगी। इतना सुनते ही सामने वाले का रवैया बदल गया। जो व्यक्ति पहले मराठी लहजे में हिंदी बोल रहा था, वह अचानक शुद्ध हिंदी में बोलने लगा और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने लगा। कुछ देर बाद ठग कॉल काटकर फरार हो गया। बाद में परिवार ने जांच की तो पाया कि शुरुआती कॉल जिस नंबर से आया था, वह ट्रूकॉलर पर फ्रॉड के रूप में चिह्नित था। वहीं, व्हाट्सएप वीडियो कॉल वाले नंबर पर किसी तरह की पहचान दर्ज नहीं थी। परिवार को यह भी याद आया कि हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी को लेकर जागरूकता संदेश लगातार प्रसारित हो रहे हैं, जिससे उन्हें स्थिति समझने में मदद मिली।
स्थानीय रेलवे कर्मचारियों और परिचितों ने पोलिकाना दत्ता की सूझबूझ की सराहना की। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में घबराने के बजाय धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए, किसी भी हालत में व्यक्तिगत दस्तावेज या जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए और तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करना चाहिए। यह घटना एक बार फिर बताती है कि जागरूकता ही साइबर ठगों के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष विश्वकर्मा



