हिसार: मानव, पशु एवं पर्यावरण के स्वास्थ्य के पारस्परिक संबंधों को समझना अनिवार्य : प्रो. जेवी रमाना

विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित करते अतिथि।

लुवास में सोसायटी फॉर वेटरनरी साइंसेज एंड बायोटेक्नोलॉजी के

12वें वार्षिक अधिवेशन एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन

हिसार, 3 दिसंबर (हि.स.)। यहां के लाला लाजपत राय पशु-चिकित्सा एवं पशु विज्ञान

विश्वविद्यालय (लुवास), में तीन दिवसीय सोसायटी फॉर वेटेरिनरी साइंसेज एंड बायोटेक्नोलॉजी

(एसवीएसबीटी) के 12वें वार्षिक अधिवेशन एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का बुधवार काे शुभारंभ हुआ।

कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा के निर्देशन में विश्चविद्यालय के वेटरनरी ऑडिटोरियम

में इसका शुभारंभ श्री वेंकटेश्वर वेटरनरी यूनिवर्सिटी, तिरुपति के कुलपति प्रो. (डॉ.)

जेवी रमाना ने मुख्य अतिथि के तौर पर किया।

इस वर्ष सम्मेलन का मुख्य विषय ‘ब्रिजिंग साइंस एंड सोसायटी: बायोटेक्नोलॉजी

फॉर सस्टेनेबल वन हेल्थ’ निर्धारित किया गया है, जो विज्ञान, समाज, पर्यावरण तथा पशु-मानव स्वास्थ्य

के एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। प्रो. (डॉ.) रमाना ने ‘वन हेल्थ’ की अवधारणा को वर्तमान

समय की अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता बताते हुए कहा कि मानव, पशु एवं पर्यावरण के स्वास्थ्य

के पारस्परिक संबंधों को समझना आज अनिवार्य है। उन्होंने अधिवेशन के विषय पर विस्तार

से चर्चा करते हुए कहा कि ‘विज्ञान, समाज एवं सतत विकास को जोड़ने में बायोटेक्नोलॉजी

की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह तकनीक पशुधन उत्पादन, रोग निदान, वैक्सीन विकास

तथा खाद्य सुरक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है, जिससे न केवल पशु स्वास्थ्य

सुदृढ़ होगा बल्कि समाज को भी एक स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य मिलेगा। बायोटेक्नोलॉजी के

नवाचार ही हमें वन हेल्थ लक्ष्यों को प्राप्त करने और स्वस्थ विश्व निर्माण में सहायता

प्रदान करेंगे।

कार्यक्रम में पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. मनोज रोज, अनुसंधान

निदेशक डॉ. नरेश जिंदल, आयोजन सचिव एवं विभागाध्यक्ष डॉ. सुशीला मान, डॉ. अमन, एसवीएसबीटी

अध्यक्ष डॉ. एजे धामी तथा कोषाध्यक्ष डॉ. विशाल एस. सुथार मंचासीन रहे। सर्वप्रथम अनुसंधान

निदेशक डॉ. नरेश जिंदल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। इसके उपरांत मुख्य अतिथि एवं

अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया। महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. मनोज रोज ने सम्मेलन की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत

की। उन्होंने बताया कि 3 से 5 दिसंबर तक आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में ‘सस्टेनेबल

वन हेल्थ’ पर गहन चर्चा होगी।

डॉ. रोज ने कहा कि ‘पशु-मानव-पर्यावरण स्वास्थ्य के मध्य संतुलन स्थापित करना आज की

प्रमुख आवश्यकता है।

अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल ने अपने संबोधन में कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय

सम्मेलन वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए ज्ञान, अनुभव एवं नवीन शोध

प्रवृत्तियों के आदान-प्रदान का उत्कृष्ट मंच है। उन्होंने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी आज

पशु-स्वास्थ्य, रोग-नियंत्रण, निदान, वैक्सीन विकास तथा उत्पादकता वृद्धि के क्षेत्र

में नई संभावनाओं के द्वार खोल रही है। वन हेल्थ की अवधारणा को साकार करने के लिए समन्वित

शोध, तकनीकी नवाचार और बहुविषयक सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि लुवास

ऐसे आयोजनों के माध्यम से शोध संस्कृति को मजबूत करने, नई वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित

करने तथा युवा शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवसर प्रदान करने के लिए निरंतर

कार्यरत है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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