भारतीय पुरातत्व विभाग ने संशोधित किया सारनाथ धर्मराजिका स्तूप

—स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू जगत सिंह शोध समिति का संघर्ष रंग लाया

वाराणसी,11 जनवरी (हि.स.)। सारनाथ स्थित धर्मराजिका स्तूप शिलापट्ट से ब्रिटिश हुकूमत के उल्लिखित बाबू जगत नारायण सिंह से संदर्भित गलत तथ्यों को संशोधित कर भारतीय पुरातत्व विभाग ने नया शिलापट्ट लगाया है। शिलापट्ट में गलत तथ्यों को हटाने के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू जगत सिंह शोध समिति ने लम्बा संघर्ष किया। समिति ने शिलापट्ट के संशोधित होने पर खुशी जताई है। समिति के सरंक्षक बाबू प्रदीप नारायण सिंह ने इसके लिए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली,देश के धर्माचार्यों,इतिहासकारों के साथ वाराणसी गाइड एसोसियेशन का भी आभार जताया। शनिवार को जगतगंज कोठी में आयोजित पत्रकार वार्ता में समिति के सरंक्षक प्रदीप नारायण सिंह,सदस्य मेजर डॉ. अरविंद सिंह,त्रिपुरारि शंकर,साहित्यकार डॉ. रामसुधार सिंह,राणा पीवी सिंह,वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र दुबे,अरविन्द कुमार सिंह आदि ने शिलापट्ट के संशोधन को लेकर किए गए संघर्ष को विस्तार से बताया।

सदस्यों ने शिलापट्ट के संशोधन कार्य की सराहना की और कहा कि यह नया शिलापट्ट उन शहीदों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि है,जिनकी शहादत गुमनामियों के अंधेरों में गुम है। उन्होंने बताया कि शोध समिति से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर डॉ. एच.ए. कुरैशी एवं डॉ. श्रेया पाठक ने हिन्दी व अंग्रेजी में दो पुस्तकें 'बनारस के विस्मृत जननायक बाबू जगत सिंह:1799 भारतीय स्वतंत्रता की अनकही गाथा' लिखी। पिछले वर्ष अक्टूबर माह में जगतगंज में 'शहीद बाबू जगत सिंह द्वार' का लोकार्पण प्रदेश के स्टांप तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रविन्द्र जायसवाल ने किया था।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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