बीआईसी और एनटीसी मिलों के औद्योगिक स्वरूप को पुनर्जीवित किया जाए : सांसद

कानपुर, 27 मार्च (हि. स.)। कभी कानपुर देश का प्रमुख औद्योगिक नगर हुआ करता था। यह शहर पूरे भारत में पांचवें स्थान पर अपनी औद्योगिक पहचान रखता था। यहां की धुआं उगलती चिमनियां, काम करती मिलें और मेहनतकश श्रमिकों की जीवंतता कानपुर की शान हुआ करती थी। लेकिन समय के साथ यह मिलें एक-एक कर के बंद होती चली गईं और आज यह ऐतिहासिक उद्योग जनपद ध्वस्त स्थिति में पहुंच गया है। यह बातें गुरूवार को संसद के लोकसभा सत्र के दौरान कानपुर के सांसद रमेश अवस्थी ने कही।

लोकसभा सत्र में कानपुर की बंद पड़ी बीआईसी (ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन) और एनटीसी (नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन) मिलों का मुद्दा जोरदार तरीके से सांसद ने उठाया।

सांसद ने कहा कि बीआईसी और एनटीसी की एक दर्जन से अधिक मिलें आज खंडहर बन चुकी हैं, जो कानपुर के लगभग 60 लाख निवासियों को खामोशी से चिढ़ा रही हैं। उन्होंने सदन के माध्यम से केंद्र सरकार से निवेदन किया कि कानपुर के औद्योगिक स्वरूप को पुनर्जीवित किया जाए। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि जो मिलें तकनीकी व आर्थिक रूप से पुनः चालू की जा सकती हैं, उन्हें दोबारा शुरू कराया जाए, जिससे न केवल शहर की औद्योगिक पहचान वापस लौटेगी, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। साथ ही, सांसद ने यह भी सुझाव दिया कि जो मिलें कभी कानपुर देश का प्रमुख औद्योगिक नगर हुआ करता था। यह शहर पूरे भारत में पांचवें स्थान पर अपनी औद्योगिक पहचान रखता था। यहां की धुआं उगलती चिमनियां, काम करती मिलें और मेहनतकश श्रमिकों की जीवंतता कानपुर की शान हुआ करती थी।

लेकिन समय के साथ यह मिलें एक-एक कर बंद होती चली गईं और आज यह ऐतिहासिक उद्योग ध्वस्त स्थिति में पहुंच गया है। किसी कारणवश पुनः चालू नहीं की जा सकतीं, उनकी जमीन का उपयोग आईटी हब, स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर या अन्य रोजगारपरक संस्थानों की स्थापना के लिए किया जाए। इससे कानपुर के युवाओं को उनके शहर में ही रोजगार और विकास के अवसर प्राप्त होंगे।

सांसद रमेश अवस्थी ने यह भी स्पष्ट किया हैं कि वह इस मुद्दे को लेकर सिर्फ सदन में ही नहीं, बल्कि सरकार से संवाद के माध्यम से भी समाधान की दिशा में प्रयासरत रहेंगे। कानपुर का भविष्य केवल स्मृतियों में नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण में छिपा है।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

   

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