पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर भाजपा नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

शिमला, 11 फ़रवरी (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक स्तंभ पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर मंगलवार को भाजपा मुख्यालय में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, कोषाध्यक्ष कमलजीत सूद सहित अन्य पदाधिकारियों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल ने इस मौके पर कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के उन महान विचारकों में से थे, जिन्होंने सत्ता की बजाय समाज सेवा को अपना उद्देश्य बनाया। वे केवल एक राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि एक महापुरुष थे, जिन्होंने राष्ट्रहित में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा, एकात्म मानववाद के प्रणेता उपाध्याय जी का संपूर्ण चिंतन समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए था।

संजीव कटवाल ने कहा कि लोकतंत्र केवल बहुमत का शासन नहीं होता, बल्कि उसमें सहिष्णुता और लोकहित की भावना प्रमुख होती है। उपाध्याय जी के अनुसार, भारतीय लोकतंत्र की जड़ें प्राचीन सभ्यता और संस्कृति में समाई हुई हैं। वैदिक काल से लेकर मध्यकाल तक भारत के कई राज्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित रहे हैं।

उन्होंने बताया कि भाजपा के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय न केवल वैचारिक प्रेरणा के स्रोत हैं, बल्कि उनकी नीतियां और विचार आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी का मानना था कि राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्ति नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और समाज कल्याण होना चाहिए।

राष्ट्रनिर्माण के प्रति संकल्पित जीवन

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हुआ था। हालांकि, कुछ इतिहासकारों के अनुसार, उनका जन्म जयपुर जिले के धानक्या रेलवे स्टेशन पर उनके नाना के घर हुआ था। उनके नाना चुन्नीलाल शुक्ल उस समय धानक्या रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर थे।

उपाध्याय जी वर्ष 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और डॉ. हेडगेवार से प्रभावित होकर संगठन के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। वे संगठन के एक समर्पित कार्यकर्ता, विचारक और कुशल संगठनकर्ता थे। उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाद में पार्टी के अध्यक्ष भी बने।

उनका मानना था कि भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सनातन संस्कृति के मूल्यों पर आधारित नीतियों को अपनाना चाहिए। उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान को सर्वोपरि रखते हुए अंत्योदय का सिद्धांत दिया, जिसका उद्देश्य गरीब और वंचित वर्ग तक विकास की रोशनी पहुंचाना था।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपने जीवनकाल में समाज और राजनीति को नई दिशा देने का कार्य किया। उनकी पुण्यतिथि पर भाजपा नेताओं ने उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हुए कहा कि उनका विचारधारा और दर्शन आज भी भाजपा की नीतियों का मूल आधार है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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