थैलेसीमिया रोग का पूर्ण उपचार बोन मैरो ट्रांस्पलाट से ही सम्भव : डा. सुब्रत चन्द्रा

लखनऊ, 12 नवंबर (हि.स.)। थैलेसीमिया रोग को पूर्ण उपचार केवल बोन मैरो (अस्थि मज्जा) ट्रांस्पलाट द्वारा ही सम्भव है। थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त रोग है। इस रोग में हमारे शरीर की लाल रक्त कोषिकाओं में हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया बाधित होती है। जिससे रोगी में स्वस्थ्य रक्त कोषिकाये नहीं बन पाती जिसके कारण रोगी को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता है। यह जानकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ0 सुब्रत चंद्रा ने दी।

डॉ0 सुब्रत चंद्रा ने बताया कि भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित पैदा होते हैं। यह रोग न केवल रोगी के लिए कष्टदायक होता है बल्कि सम्पूण परिवार के आर्थिक शारीरिक व मानसिक तनाव का कारण बन जाता है। यह रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलता रहता है। इस रोग में शरीर में लाल रक्त कण/रेड ब्लड सेल (आर0बी0सी0) सही नहीं बन पाते हैं और केवल अल्प काल तक ही रहते हैं। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा न करने पर बच्चा जीवित नहीं रह सकता है। इस बीमारी की सम्पूर्ण जानकारी और विवाह के पहले विशेष जॉच कराकर आनेवाले पीढ़ी को थैलेसीमिया होने से रोक सकते हैं। ।

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान विज्ञान संस्थान, लखनऊ और अपोलो सेंटर फॉर बोनमैरो ट्रांसप्लांट, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार से दो दिवसीए

निःशुल्क जांच एवं परामर्श शिविर का आयोजन किया जा रहा है। प्रथम दिन संगोष्ठी होगी और दूसरे दिन वार्ड में मरीजों की निःशुल्क एच0एल0ए0 जांच एवं परामर्श दिया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

   

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