यह बजट भारत के अर्थव्यवस्था की संवृद्धि का आधार : प्रो उमेश प्रताप सिंह

प्रयागराज, 01 फरवरी (हि.स.)। इविंग क्रिश्चियन कालेज अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफ़ेसर उमेश प्रताप सिंह ने बजट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मध्यम वर्ग को कर छूट देने और पूंजीगत खर्च बढ़ाने के साथ सरकार ने वित्तीय घाटे को कम करने के लिए सही दिशा में कदम उठाया है। बजट की सबसे खास बात है निजी उपभोग में गति को तेज करने के लिए बजट में अनेक उपाय किये गए हैं, जिसका अर्थव्यवस्था में व्यापक प्रभाव पड़ेगा। निजी उपभोग व्यय, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 56-60 प्रतिशत है, भारत की अर्थव्यवस्था की संवृद्धि का आधार है।

प्रो सिंह ने कहा कि व्यक्तिगत आयकर में बदलाव, टैरिफ़ दरों में कटौती और समग्र रूप में सार्वजनिक निवेश पर जोर के संयोजन से उपभोक्ता व्यय को बहुत जरूरी बढ़ावा मिलेगा। यह ऐसे समय आया जब देश में उपभोक्ता भावनाओं में सुस्ती और उच्च मुद्रास्फीति के कारण शहरी और ग्रामीण बाजारों के मांग में कमी है। आयकर ढांचे में व्यापक बदलाव के माध्यम से मध्यम वर्ग की व्यय योग्य आय बढ़ेगी और उपभोग व्यय को बहुत जरूरी बढ़ावा मिलेगा। 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये तक की आय को कर से छूट देने का निर्णय एक बड़ा निर्णय है। जोकि मध्यम वर्ग पर वित्तीय बोझ को कम करेगा।

नई कर व्यवस्था के तहत 75,000 रुपये की मानक कटौती का लाभ पाने वाले वेतनभोगी व्यक्तियों को, यदि उनकी सकल कर योग्य आय 12.75 लाख रुपये से अधिक नहीं है, शून्य कर देना होगा। नई कर संरचना विभिन्न आय स्लैब के अंतर्गत आने वाले सभी व्यक्तियों के लिए लाभकारी होगी। बजट में सार्वजनिक निवेश पर निरंतर जोर देने से भी प्रत्यक्ष उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। पिछले बजट की भांति पूंजीगत व्यय 11 लाख करोड़ से अधिक है। राज्यों को 1.5 लाख करोड़ रुपये के 50 साल के ब्याज मुक्त ऋण जैसी योजनाएं आर्थिक गतिविधि और आय में वृद्धि करेंगी। चूंकि इस तरह के ऋण कुछ वर्षों से चल रहे हैं, इसलिए परियोजनाओं की एक श्रृंखला मौजूद है। फलस्वरूप, सार्वजनिक निवेश के माध्यम से आय और उपभोग को एक और बढ़ावा तुरंत दिखाई देगा। वित्त मंत्री व्यय को बढ़ावा देने के उपायों के साथ ही राजकोषीय अनुशासन को बनाये रखने में सफल रही हैंं।

वित्त मंत्री ने फसल विविधीकरण, सिंचाई सुविधाओं, किसानों के लिए ऋण उपलब्धता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी अनेक उपायों की घोषणा की। कृषि में उन क्षेत्रों, फसलों और वर्गों पर फोकस किया गया, जिन पर अब तक कम ध्यान दिया गया था। बजट में स्टार्टअप और छोटे-मध्यम उद्योगों के विकास के लिए भी कदम उठाए गए हैं, क्रेडिट सुविधा बढ़ाई गई है। नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन से उद्योगों को आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी परन्तु चीन का मुकाबला करने के लिहाज़ से देखा जाय तो विनिर्माण क्षेत्र को और भी प्रोत्साहन देने की आवश्यकता थी। तीन एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे अनुसंधान, नवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। 10,000 करोड़ रुपये के नए फंड के साथ ’फंड ऑफ फंड्स’ की शुरुआत भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को नई दिशा देगा। यह पहल नवाचार और उद्यमिता को गति देगी।

बजट में इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने और फुटवियर जैसे क्षेत्रों पर फोकस किया गया है, जिनमें चीन अमेरिका को भारी मात्रा में सामान निर्यात करता है। यदि अमेरिका ने चीन पर टैरिफ बढ़ाया, तो भारत के पास इन क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने का बेहतरीन मौका होगा। इससे ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड को ग्लोबल पहचान मिलेगी। पर्यटन क्षेत्र के लिए विकास और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। पर्यटन स्थलों के विकास के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर 22 प्रमुख स्थलों पर ध्यान केंद्रित करने की घोषणा की गई है। होमस्टे और छोटे होटल व्यवसायियों के लिए मुद्रा लोन योजना की घोषणा की है। इसके तहत छोटे व्यवसायियों को वित्तीय सहायता मिलेगी, जिससे वे पर्यटन उद्योग में प्रवेश कर सकेंगे और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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