हिमाचल में करूणामूलक नौकरी के लिए एक माह में बनेगी नीति, विधायकों की ऐच्छिक निधि बढ़ी : सुक्खू

शिमला, 21 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने घोषणा की है कि हिमाचल प्रदेश में करूणामूलक आधार पर नौकरी देने के लिए सरकार एक माह में नई नीति लेकर आएगी। इसके साथ ही विधायकों की ऐच्छिक निधि में 1 लाख रुपये की बढ़ोतरी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह घोषणाएं शुक्रवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट पर चली चार दिवसीय चर्चा का जवाब देते हुए कीं।

भाजपा सरकार पर कर्ज बढ़ाने का आरोप

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने प्रदेश को कर्ज के बोझ तले दबा दिया। उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार को केंद्र से 68 हजार करोड़ रुपये की राजस्व घाटा अनुदान और जीएसटी क्षतिपूर्ति मिली थी, लेकिन इस धनराशि का उपयोग प्रदेश का कर्ज चुकाने या कर्मचारियों के वेतन आयोग की देनदारी निपटाने के बजाय चुनावी रेवड़ियां बांटने में किया गया।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने दो वर्षों में 29,046 करोड़ रुपये का ऋण लिया, लेकिन इसमें से 12,266 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान और 8,087 करोड़ रुपये पूर्व में लिए गए कर्ज चुकाने में खर्च हुए। ऐसे में विकास कार्यों के लिए केवल 8,693 करोड़ रुपये ही उपलब्ध रह सके।

पूर्व सरकार ने पांच साल में लिया 40 हजार करोड़ का कर्ज

मुख्यमंत्री ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में प्रदेश पर 40,352 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण चढ़ा। वर्ष 2018-19 में 5,745 करोड़ रुपये, 2019-20 में 5,000 करोड़ रुपये, 2020-21 में 10,888 करोड़ रुपये, 2021-22 में 8,321 करोड़ रुपये और 2022 के अंत तक 10,398 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया। बावजूद इसके कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एरियर नहीं दिया गया।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि आगामी वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय के लिए 3,976 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। हालांकि अतिरिक्त संसाधन जुटाकर इस राशि को साल के अंत तक 5,000 करोड़ रुपये से अधिक किया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रदेश सरकार विकास कार्यों और आर्थिक मजबूती के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।

मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने किया वॉकआउट

जब मुख्यमंत्री सदन में कर्ज से जुड़े आंकड़े पेश कर रहे थे तब नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आपत्ति जताई और अपना पक्ष रखने की मांग की। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अनुमति नहीं दी जिससे नाराज भाजपा विधायकों ने हंगामा किया और नारेबाजी के बाद सदन से वॉकआउट कर दिया।

सत्तापक्ष ने बजट को सराहा, विपक्ष ने किया खारिज

इससे पहले विधानसभा में बजट सत्र के चौथे दिन भी चर्चा जारी रही। जहां सत्तापक्ष के विधायकों ने बजट को सराहा, वहीं विपक्ष ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया। भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति के लिए केवल पूर्व सरकार को दोष देना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्ज लेने की परंपरा वर्षों पुरानी है, लेकिन हर बार सरकार बदलने पर इस मुद्दे पर रोना नहीं रोया जाता था।

बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने कहा कि सरकार अगर संसाधनों के विकास पर ध्यान देती, तो प्रदेश की आर्थिकी मजबूत हो सकती थी। उन्होंने सरकार के दूध खरीदने की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में केवल 10 फीसदी दूध की खपत होती है, जबकि 90 फीसदी दूध बाहर भेजा जाता है।

सत्तापक्ष ने बजट की तारीफ की

कांग्रेस विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने हर वर्ग का ध्यान रखा है और अंतिम पंक्ति तक खड़े व्यक्ति को लाभ देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि वैट और टैक्स संग्रह में बढ़ोतरी कर सरकार ने प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

उन्होंने कहा कि बजट में 25,000 लोगों को रोजगार देने की घोषणा से युवाओं को लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री द्वारा ब्याज पर सब्सिडी देने की योजना का भी युवाओं को फायदा होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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