
जींद, 17 मार्च (हि.स.)। हरियाणा सरकार के विधानसभा सत्र के समानांतर कर्मचारी जन असेंबली जिला मुख्यालय पर सोमवार को जिला प्रधान संजीव ढांडा की अध्यक्षता में सर्व कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित की गई। मंच का संचालन राजेश कालीरामणा ने किया। कर्मचारी जन असेंबली के दौरान अपने प्रस्ताव उपायुक्त के माध्यम से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी, राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष को भेजा गया। हरियाणा सरकार की नीतियों पर चर्चा की गई और गलत नीतियों की जमकर आलोचना की व नारेबाजी की।
हरियाणा का अलग से वेतन आयोग गठित करवाने, अंतरिम राहत पांच हजार जारी करवाने, वेतन विसंगतियां दूर करवाने, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करवाने, रेगुलाईजेशन पॉलिसी बनवाने, पुरानी पेंशन बहाल करवाने, खाली पड़े लाखों पदों को स्थायी भर्ती से भरने, सार्वजनिक क्षेत्र के विभाग को प्राइवेट कम्पनियों को ना बेचने आदि अन्य मांगों के प्रस्ताव पास किए गए। मुख्य वक्ता के तौर पर बिजली के राज्य प्रधान सुरेश राठी ने कहा कि हरियाणा की बीजेपी सरकार पिछले 10 साल में कर्मचारियों की मांगों को समाधान करने में नाकाम रही है और कर्मचारी मुद्दों पर बैठ कर वार्ता भी नही करना चाहती है। कर्मचारियों को जानबूझ कर आम जनता में बदनाम करना चाहती है। जबकि हरियाणा में लाखों पद खाली पड़े हैं ।
पदों के खाली होने के कारण प्रदेश के युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है ओर मौजूदा कर्मचारियों पर काम का अतिरिक्त भार है। जिससे वे मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। हरियाणा का अलग से वेतन आयोग गठित करने की भी मांग की। क्योंकि हरियाणा की परिस्थितिया अन्य राज्यों से अलग हैं । आठवां वेतन आयोग गठित करने से पहले तमाम विभागों की वेतन विसंक्तियां भी दूर की जाएं। हरियाणा सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को चुनाव से पहले जॉब सिक्योरिटी के नाम पर आश्वासन दिया था व पत्र भी जारी किया अब कच्चे कर्मचारियों को नौकरी से बाहर किया जा रहा है। जिससे सरकार का दोगलापन चरित्र सामने आ रहा है। हरियाणा सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ संघ लगातार आंदोलनरत है।
हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा