हिसार : अब पशुओं के मुंह खुर रोग का हाे सकेगा आंकलन, एप विकसित
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- Jan 10, 2025
लुवास की ‘एफएमडी ई-लॉस कैलकुलेटर©’ मोबाइल एप्लीकेशन जारीहिसार, 10 जनवरी (हि.स.)। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) कुलपति एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजा शेखर वुंडरू ने ‘लुवास एफएमडी ई-लॉस कैलकुलेटर© ऐप’ जारी की।इस अवसर पर कुलपति डॉ. वुंडरू ने शुक्रवार को बताया कि यह ऐप पशुओं में मुंह-खुर रोग (एफएमडी) के प्रकोप से होने वाले आर्थिक नुकसान की सटीक गणना करने में मदद करेगी। इससे पशुपालकों, उद्यमियों और नीति निर्माताओं को हरियाणा एवं राष्ट्रीय स्तर पर इस रोग के नियंत्रण उपाय करने में सहायता मिलेगी। डॉ. वुंडरू ने इस एप्लीकेशन को मुंह-खुर रोग डेटा तैयार करने के लिए पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग तथा लुवास वैज्ञानिकों के प्रयासों की भी सराहना की।इस अवसर पर हरियाणा के पशुपालन और डेयरी विभाग के महानिदेशक डॉ. एलसी रंगा ने बताया कि मुंह-खुर रोग पशुओं में होने वाला एक खतरनाक रोग है तथा उचित टीकाकरण से इस रोग को नियंत्रित किया जा चुका है। उन्होंने पशुधन एवं पोल्ट्री की आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बीमारियों की रोकथाम एवं नियंत्रण में लुवास की प्रतिबद्धता एवं योगदान का भी उल्लेख किया।लुवास के अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल ने बताया कि मुंह-खुर रोगों के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान को मापने के लिए एक मानकीकृत दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता को समझते हुए यह एप्लीकेशन विकसित की गई है। पूर्व प्रोफेसर एवं पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. एनके कक्कड़ के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने इस समस्या के व्यापक समाधान विकसित करने के लिए मिशन की शुरुआत की। डॉ. जिंदल ने वैज्ञानिकों डॉ. एनके कक्कड़, डॉ. स्वाति दहिया और डॉ. नीलम रानी की टीम को उक्त मोबाइल ऐप डिजाइन के लिए बधाई देते हुए कहा कि मुंह-खुर रोग जैसे उभरते खतरों के बीच पशु स्वास्थ्य की सुरक्षा और कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने में आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।लुवास कुलसचिव डॉ. एसएस ढाका ने बताया कि इस मोबाइल ऐप को कॉपीराइट रजिस्ट्रार, भारत सरकार के पास कॉपीराइट संख्या एसडब्लू-18808/2024 के तहत पंजीकृत किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुंह-खुर रोग से होने वाले आर्थिक नुकसान का सहज आकलन में यह ऐप अच्छी सुविधा प्रदान करेगी।पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. गुलशन नारंग ने बताया कि यह अभिनव मोबाइल ऐप ‘लुवास एफएमडी ई-लॉस कैलकुलेटर©’ कुलपति द्वारा जारी करने के उपरांत गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध करवा दी गयी है। पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. राजेश ने बताया कि इस ऐप के लिए मुंह खुर रोग के बेसलाइन डेटा और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग/सॉफ्टवेयर के साथ इसके उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस का भी प्रयोग किया गया है। पूर्व प्रोफेसर, पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग डॉ. एनके कक्कड़ ने ‘लुवास एफएमडी ई-लॉस कैलकुलेटर©’ की परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में बताया कि यह एप्लीकेशन प्रभावित पशुओं जैसे कि मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर के डेटा को उनके आयु समूह और लिंग के अनुसार आंकड़ों का विश्लेषण प्रदान करेगी। इससे दूध उत्पादन में कमी, मृत्यु दर, उपचार लागत और कम भार वहन क्षमता जैसे प्रमुख मापदंडों में आर्थिक नुकसान की सटीक गणना संभव हो सकेगी।डॉ. स्वाति ने बताया कि इस ऐप का उपयोग पूरे देश में किया जा सकता है, क्योंकि आर्थिक नुकसान स्थान, पशुओं की नस्ल और उनके विशिष्ट उपयोग के आधार पर अलग-अलग होता है। यह नया विकसित ऐप पांच प्रजातियों में प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान का अनुमान लगा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि पहले के आंकडें बताते हैं कि 2017 से 2020 के बीच मुंह-खुर रोग से 126 लाख रुपये से भी अधिक हुआ था। इस पर अब काफी हद तक काबू पाया जा चुका है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर