हिसार : कला और साहित्य के बीच सेतु का काम करता चित्र प्रदर्शनी : डॉ. विक्रमजीत

दयानंद महाविद्यालय में साहित्यिक संवेदनाओं के रंगमय उत्सव का समापन

हिसार, 5 अप्रैल (हि.स.)। चित्रों में शब्दों से कई गुना अभिव्यक्ति की क्षमता

होती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए दयानंद महाविद्यालय में हिंदी व संस्कृत विभाग

द्वारा आयोजित ‘रंगों में ढलता साहित्य’ विषय पर आधारित तीन दिवसीय प्रदर्शनी का समापन शनिवार को हुआ। यह प्रदर्शनी तीन अप्रैल को आरंभ हुई थी।

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ कृति के लिए पुरस्कृत व हरियाणा

सरकार द्वारा स्टेट टीचर अवार्ड से सम्मानित डॉ. मनोज छाबड़ा द्वारा लगाई गई इस अनोखी

प्रदर्शनी का उद्देश्य साहित्य को रंगों के माध्यम से व्यक्त करना था। उनके अनुसार

साहित्य केवल पढ़ा ही नहीं अपितु देखा व महसूस भी किया जा सकता है। प्रत्येक चित्र में

शब्दों के भाव, रंगों के परत में छिपी संवेदनाएं और रेखाओं में बसी कहानी दर्शकों को

साहित्य के एक नए संसार में ले जाती हैं। प्रदर्शनी की संयोजिका व हिन्दी विभाग की

विभागाध्यक्षा डॉ. मोनिका नरेश ने बताया कि इस चित्रकला प्रदर्शनी में दर्शकों की प्रतिक्रिया

अत्यंत उत्साहवर्धक रही।

अनेक विद्यार्थियों ने चित्रकला प्रदर्शनी का अवलोकन किया

व रंगों में ढलती भावनात्मक अभिव्यक्ति को सराहा। इस प्रदर्शनी ने यह सिद्ध कर दिया

कि साहित्य और कला एक दूसरे के पूरक हैं। शब्द जहां भाव को जन्म देते हैं वही चित्र

उन्हें जीवंत कर देते हैं। प्रदर्शनी के संरक्षक व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विक्रमजीत

सिंह ने शनिवार काे प्रदर्शनी के समापन अवसर पर कहा कि यह आयोजन कला और साहित्य के बीच सेतु का

काम करता है, यह केवल कला का ही नहीं, अपितु भावनात्मक विचारों का उत्सव था। कला और

साहित्य के इस अद्वितीय संगम में दर्शकों को एक नई अनुभूति दी है। प्रदर्शनी के सफल

आयोजन में सह-संयोजिका डॉ. संगीता शर्मा, डॉ. सुरेंद्र बिश्नोई, डॉ. सुमंगला वशिष्ठ,

प्रो. सीमा चौधरी, डॉ. सुमन बाला, डॉ. माया, डॉ. संतोष, डॉ. दीपक, डॉ. सविता, प्रो.

अमरनाथ व प्रो. विजेंद्र सिंह की भूमिका सराहनीय रही।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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