बनगांव के प्रसिद्ध गायक नंद नवल की जोड़ी मिथिला रत्न सम्मान से सम्मानित

सहरसा, 01 जनवरी (हि.स.)।

विद्यापति सेवा संस्थान दरभंगा द्वारा अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन झारखंड के देवघर में आयोजन किया गया।जिसमें मिथिला के सुप्रसिद्ध गायक बनगांव निवासी नंद नवल की जोड़ी को मिथिला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।

समारोह से लौटने के बाद नंद शंकर झा एवं नवल किशोर मिश्र ने बताया कि वे दोनो विगत 48 वर्ष से लगातार भारत के विभिन्न शहर में आयोजित मैथिली मंच पर अपने गायन की प्रस्तुति दे रहें है। भारत ही नही नेपाल मे भी मैथिली मंच पर अपनी प्रस्तुति से लोगों को मंत्र मुुगध कर चुके है। जिला के बनगांव निवासी नंद शंकर झा एवं नवल किशोर मिश्र 1975 से गीत रचना कर लगातार गायन कर रहे हैं जबकि 1978 से विद्यापति पर्व समारोह में नंद नवल की जोड़ी ने मैथिली श्रोताओं के मन मस्तिष्क को आनंदित कर दिया।

इस बीच इन दोनों जोड़ी के द्वारा गाये गए कुछ गीत बहुत ही चर्चित रहे। जो आज भी लोगों के कंठ में गुनगुनाने पर विवश कर देती है। विशेष कर 80- 90 के दशक में इन दोनों की जोड़ी द्वारा सैकड़ो गीत रचना से जनमानस में काफी चर्चित रहे।वही आज भी दोनों मैथिली मंच पर मैथिली की सेवा निस्वार्थ भाव से कर रहे हैं।

गायक ने बताया कि उनके द्वारा असमंजस में ओझा हम, भार यौवन के जकरा सहल नहि जाय,दर्दी सजना,कहू गुरूजी पतरा देखू, चलू प्रीतम ओतय, छोट-छोट रोरी गरैया,कोन नगर सँ ऐला रे भरिया एवं जतय भीनसरबे खटखट खड़ाऊ बजै छै सहित प्रसिद्ध गीत है जो मिथिला के घर-घर मे प्रतिदिन आज भी गाये जा रहे है। इन दोनों की जोड़ी ने संपूर्ण मिथिला ही नहीं पूरे देश में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।जिसके कारण इन्हें विद्यापति सेवा संस्थान दरभंगा द्वारा मिथिला विभूति सम्मान दिया गया वहीं अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन देवघर में उन्हे मिथिला रत्न से सम्मानित किया गया।

उन्हें सम्मानित किये जाने पर प्रोफेसर कुलानन्द झा, सुमन समाज, पारस कुमार झा, उमाशंकर खां, डॉ अक्षय कुमार चौधरी, डॉक्टर शांति लक्ष्मी चौधरी,जनसुराज नेता विमल कांत झा,सोहन झा, भाजपा नेत्री लाजवंती झा, विनोद कुमार झा, शशि शेखर सम्राट सहित अन्य लोगों ने हर्ष व्यक्त किया है।

हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार

   

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