वाराणसी में साइबर ठगों के गिरोह का पर्दाफाश, सरगना सहित तीन ठग गिरफ्तार

—युवाओं को विदेशी कम्पनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर 80 लाख की ठगी

वाराणसी,08 फरवरी (हि.स.)। वाराणसी साइबर क्राइम थाना ने शनिवार को साइबर ठगी करने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया। गिरोह के सरगना सहित तीन ठगों को गिरफ्तार कर पुलिस टीम ने ठगों के पास से मोबाइल, लैपटाप, कम्प्यूटर डेक्सटाप तथा नकदी आदि सामान भी बरामद कर लिया।

डीसीपी क्राइम प्रमोद कुमार और एडीसीपी क्राइम श्रुति श्रीवास्तव ने पुलिस लाइन में गिरफ्तार ठगों को मीडिया के सामने पेश किया। डीसीपी ने गिरोह के कार्यप्रणाली की जानकारी देकर बताया कि तीनों ठगों ने बेरोजगार युवाओं को विदेशी कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम 80 लाख रूपए ठग लिए। बुद्ध विहार थाना विजय नगर गाजियाबाद निवासी दीपक कुमार पुत्र राजवीर सिंह,कुनाल विश्वास पुत्र संजय विश्वास, इटौरा अजीतगंज जनपद मैनपुरी निवासी भानू प्रताप पुत्र शोभाराम राजपूत ने विदेशी कम्पनियों मे विभिन्न पदों पर फर्जी तरीके से नौकरी दिलाने के नाम पर नोएडा के सेक्टर 10 में कालसेन्टर भी बनाया था। तीनों के खिलाफ पीड़ित वादी वाराणसी के आनन्द पुरी कालोनी पहडिया, सारनाथ निवासी अखिलेश कुमार पाण्डेय पुत्र ओम प्रकाश पाण्डेय ने थाना साइबर क्राइम वाराणसी में तहरीर दिया था। वादी ने प्रार्थनापत्र के जरिए बताया कि साइबर अपराधियों ने उनका डेटा जाब प्रोवाइडर कम्पनी से प्राप्त कर उन्हे इंडीड कम्पनी के रिप्रेजेन्टेटिव के तौर पर संपर्क कर आस्ट्रेलिया मे नौकरी दिलाने का झांसा देकर 80 लाख रूपये की साइबर ठगी की। पीड़ित से तहरीर मिलने के बाद मुकदमा पंजीकृत कर इसकी विवेचना निरीक्षक विजय कुमार यादव को दी गई।

डीसीपी के अनुसार जाब प्रोवाइडर कम्पनियों के नाम पर जाब सीकर्स अपना रिज्यूम अपलोड करते हैं। ये साइबर अपराधी इन्हीं कम्पनियों का रिक्रूटर पोर्टल अवैध तरीके से प्राप्त कर जाब सीकर्स का डेटा प्राप्त करते है। इसके बाद अपने आफिस में काम करने वाले टेलीकालर के माध्यम से काल कराकर उनका रजिस्ट्रेशन करते है। इसके बाद पीड़ित को धोखा देकर डाक्यूमेट मंगवा लेते है। फिर जाब सीकर्स को विदेशों की कम्पनियों में उनकी योग्यतानुसार विभिन्न पदों पर नौकरी दिलाने की प्रक्रिया के तहत उन्हे फर्जी कूटरचित व फर्जी डिजिटल हस्ताक्षरित इन्टेन्ट लेटर, आफर लेटर तथा इन्टरव्यू लेटर भेजते है। युवाओं को झांसे में लेने के बाद विभिन्न तरह की फीस/टैक्स के नाम पर तथा कथित कम्पनी / फर्जी म्यूल बैंक खातों में पैसा मंगा लेते है। साइबर अपराधी अपनी पहचान छुपाने तथा पुलिस की पहुंच से दूर रहने के लिए इस तरह की साइबर अपराध की घटनाओं को अंजाम देते है। इसके लिए फर्जी म्यूल बैंक खातों तथा फर्जी नाम-पते के सिमकार्ड का प्रयोग किया जाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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