को-ऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर के लिए अभी स्वर्णिम काल है : मुख्यमंत्री

-मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गांधीनगर में ‘सहकार सेतु’ मेगा इवेंट और वेस्टर्न इंडिया अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकिंग समिट का उद्घाटन किया

गांधीनगर, 26 सितंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि को-ऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर के लिए अभी स्वर्णिम काल है। टेक्नोलॉजी का लाभ लेकर संचालन में पारदर्शिता के साथ विकास करने का श्रेष्ठ अवसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में को-ऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर के सस्टेनेबल ग्रोथ के लिए सफल परिणामदायी प्रयास किए जा रहे हैं। को-ऑपरेटिव बैंकिंग से लेकर प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पीएसीएस) तक हर क्षेत्र में ‘सहकार से समृद्धि’ का मंत्र साकार हुआ है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल गुरुवार को गांधीनगर में आयोजित सहकार सेतु-2024 मेगा इवेंट तथा वेस्टर्न इंडिया अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकिंग समिट का उद्घाटन

के बाद संबोधित कर रहे थे। गुजरात अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकिंग फेडरेशन आयोजित इस समिट में सहकारिता राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा तथा को-ऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर के वरिष्ठ अग्रणी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विकसित भारत@2047 संकल्प को पूरा करने के लिए को-ऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर से लेकर साधारण से साधारण व्यक्ति तक का आर्थिक व सामाजिक उत्कर्ष करने वाले हरेक सेक्टर में टेक्नोलॉजी ट्रांसफॉर्मेशन तथा ट्रांसपरेंसी की रणनीति अपनाई है। उसी परंपरा पर चलते हुए केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने को-ऑपरेटिव बैंकों को भी विश्व स्तरीय सेवाएं देने में सक्षम बनाने के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन द्वारा सहकारी ब्रैंड के रूप में ‘प्राउडली को-ऑपरेटिव’ का मंत्र दिया है। शाह ने इस मंत्र से बैंकिंग सेक्टर को आगे बढ़ाने के अप्रोच को प्रोत्साहन दिया है।

इस मौके पर राज्य के सहकारिता राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने कहा कि राज्य के दूध उत्पादकों को दैनिक 150 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जाता है। गुजरात में को-ऑपरेटिव बैंक का नेटवर्क बहुत बड़ा है। अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात के अर्बन बैंक वित्तीय रूप से सुदृढ़ हैं। गुजरात में 211 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की लगभग 1,138 शाखाएं कार्यरत हैं, जिनमें लगभग 84,531 करोड़ रुपये की डिपॉजिट है तथा जिनके द्वारा 52,333 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है। ये बैंक लगभग 1,300 करोड़ रुपये का मुनाफा कर रहे हैं।

अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की सेवाओं की चर्चा करते हुए विश्वकर्मा ने कहा कि टेक्नोलॉजी से लैस अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों में मोबाइल बैंकिंग, यूपीआई ट्रांजेक्शन तथा नेट बैंकिंग जैसी अनेक सेवाएँ दी जाती हैं। भारत को विश्व की सबसे बड़ी पाँचवीं आर्थिक महासत्ता बनाने में दूध उत्पादक-सहकारी क्षेत्र ने बड़ा योगदान दिया है। हमें को-ऑपरेटिव सेक्टर को और अधिक मजबूत व किसानों की आय दुगुनी करते हुए भारत की इकोनॉमी को पाँच ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचा कर भारत को विकसित देश बनाने की दिशा में मजबूती से कदम आगे बढ़ाना है।

गुजरात अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक्स फेडरेशन के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि गुजरात सहित भात में लगभग 1,480 सहकारी बैंक कार्यरत हैं। ऐसे में आगामी शताब्दी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की शताब्दी होगी। मेहता ने इस एक दिवसीय समिट के दौरान लगभग 60 विभिन्न टेक्नोलॉजी कंपनियों की सहायता से बैंकिंग क्षेत्र में उपयोगी साइबर सुरक्षा आदि टेक्नोलॉजी के विषय पर आयोजित होने वाले विभिन्न सत्रों की विस्तार से जानकारी दी। नेशनल अर्बन को-ऑपरेटिव फाइनांस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनयूसीएफडीसी) द्वारा आयोजित इस सहकार सेतु समिट के दौरान ‘आउट-स्मार्टिंग द स्मार्टर : हाइपर डिजिटल बैंकिंग के समय में साइबर सुरक्षा का महत्व’, ‘नवीन व स्मार्ट बैंकिंग द्वारा भविष्य का निर्माण’ जैसे विषयों पर विभिन्न विशेषज्ञों की उपस्थिति में पैनल डिसकशन आयोजित होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

   

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