समरसता पर आधारित है हमारी समृद्ध संस्कृति :  राज्यपाल

शिमला, 24 जनवरी (हि.स.)। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि हमारी समृद्ध संस्कृति समरसता पर आधारित है। मौजूदा परिप्रेक्ष्य में हमें समरसता की ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है और यह हमारे संविधान का भी हिस्सा है। राज्यपाल आज यहां राजभवन में उत्तर प्रदेश, मणिपुर, मेघालय तथा त्रिपुरा के स्थापना दिवस पर हिमाचल में रहे इन राज्यों के नागरिकों के लिए आयोजित ‘मिलन कार्यक्रम’ में बोल रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है और एक-दूसरे के परिवेश पर ध्यान देता है। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत इसकी विविधता और एकता में है। विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों, परंपराओं और प्रथाओं के संपर्क से राज्यों के बीच समझ और जुड़ाव बढ़ेगा। इस प्रकार ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की परिकल्पना से भारत की एकता और अखंडता और मजबूत होगी।

राज्यपाल ने प्रदेशवासियों को पूर्व राज्यत्व दिवस और गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ‘राष्ट्र धर्म’ से बढ़कर कुछ नहीं है। इसलिए, हमें इन दिवसों को उल्लास के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की परम्पराओं में वाद-विवाद हो रहा है। लेकिन, विद्वता का अहंकार नहीं बल्कि प्रसार होता था। लोग एक-दूसरे से जुड़े रहते थे इसलिए, दूसरों के संस्कारों का आदर करते थे। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम आपसी समझ को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मर्यादा को नहीं छोड़ना चाहिए और वशिष्टता पर ध्यान देना चाहिए और यही जीवन की सफलता का आधार है।

उन्हाेंने कहा कि भगवान श्री राम ने पिछड़े हुए लोगों को एकत्रित कर सेना बनाई और ऐसे सभी लोगों, जो केवल शासन करना जानते थे, उनको पराजित करने का काम किया। भारत अपनी परंपराओं का पूरी तौर पर पालन करता है, एक दूसरे के परिवेश तक का ध्यान करता है।

इससे पूर्व राज्यपाल ने इन राज्यों के नागरिकों को सम्मानित किया। इस माैके पर पुलिस महानिदेशक सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अशोक तिवारी, केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ब्रजेश सिंह, आई.पी.एस अधिकारी अदिती सिंह ने भी अपने अनुभव सांझा किए।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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