हकीम यासीन ने दिहाड़ी मजदूरों के नियमितीकरण पर एक और समिति के गठन की निंदा की

श्रीनगर, 11 मार्च (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री हकीम मुहम्मद यासीन ने दिहाड़ी मजदूरों के नियमितीकरण के लिए एक नई समिति के गठन की मंगलवार को कड़ी आलोचना की और कहा कि यह बार-बार की जाने वाली कवायद है जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति के बारे में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा की गई घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यासीन ने कहा कि केवल समितियां बनाने से हजारों दिहाड़ी मजदूरों, तदर्थ और आकस्मिक मजदूरों की दुर्दशा का समाधान नहीं होगा जो वर्षों से अपने नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं।

यासीन ने कहा पहले भी समितियां बनाई गई हैं चाहे वह सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद, सीएम गुलाम नबी आजाद या फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकारों के कार्यकाल के दौरान हो। फिर भी, यह मुद्दा अनसुलझा है। दिहाड़ी मजदूर आज अपने नियमितीकरण के बारे में ठोस घोषणा की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन इसके बजाय उन्हें नई बोतल में पुरानी शराब दी गई है। उन्होंने आगे जोर दिया कि पिछली सरकारों ने पहले ही दिहाड़ी मजदूरों के बारे में डेटा एकत्र कर लिया था और एक और समिति गठित करने के बजाय, प्रशासन को मौजूदा रिकॉर्ड को सत्यापित करना चाहिए और इस लंबे समय से लंबित मुद्दे को एक बार और हमेशा के लिए हल करना चाहिए। यासीन ने कहा कि डेटा पहले से ही मौजूद है। और क्या मूल्यांकन करने की आवश्यकता है? सरकार को सीधे कार्यान्वयन की ओर बढ़ना चाहिए, उन्होंने कहा। उन्होंने 2015 से 2018 तक बजट दस्तावेजों में प्रतिबद्धताओं के बावजूद इस मुद्दे को हल करने में विफल रहने के लिए पिछली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की भी आलोचना की। यह निराशाजनक है कि ठोस कार्रवाई के बजाय, हम एक और देरी की रणनीति देख रहे हैं। यासीन ने कहा, दिहाड़ी मजदूर सालों से संघर्ष कर रहे हैं और अब समय आ गया है कि सरकार समितियों से आगे बढ़कर निर्णायक कार्रवाई करे। उन्होंने सरकार से इस प्रक्रिया में तेजी लाने और समयबद्ध रोडमैप प्रदान करने का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दिहाड़ी मजदूरों को बिना किसी नौकरशाही देरी के उनके उचित अधिकार मिलें।

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हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता

   

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