योग और यज्ञ हमारी सनातन संस्कृति के प्राण तत्व हैं : स्वामी रामदेव

- विश्वविद्यालय प्रांगण में पतंजलि परिवार ने खेली फूलों की होली

हरिद्वार, 13 मार्च (हि.स.)। होली के पावन अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के खेल प्रांगण में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव तथा कुलपति आचार्य बालकृष्ण के सान्निध्य में विशेष ‘होलीकोत्सव यज्ञ एवं फूलों की होली’ का आयोजन किया गया।

होलीकोत्सव पर स्वामी रामदेव ने कहा कि होली न केवल रंगों व उल्लास का पर्व है, अपितु सामाजिक समरसता, प्रेम, भाईचारे और बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। हम होली पर प्रण लें कि हमारे भीतर आत्मग्लानि, आत्मविस्मृति, आत्मसम्मोहन आदि न आए। सनातन संस्कृति के प्रत्येक पर्व को हम योग एवं यज्ञ के साथ मनाते हैं। योग और यज्ञ हमारी सनातन संस्कृति के प्राण तत्व हैं, आत्म तत्व हैं। स्वामी जी ने सभी देशवासियों से आह्वान किया कि इस सौहार्द को भांग व शराब के नशे में बिगड़ने न दें। यह समाज के लिए हानिकारक है।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि होली अहंकार के त्याग का पर्व है। अपने अंदर के विकारी भावों रूपी हिरण्यकश्यप को होलिका में दहन करने का पर्व है। होली पर सभी आपसी मतभेदों को भूल कर भाईचारे के रंग में रंगकर इस पावन पर्व को सार्थक बनाएं। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि होली पर्व पूर्ण सात्विकता के साथ मनाएं। होली पर गोबर, कीचड़ तथा कैमिकल युक्त रंगों का प्रयोग न करें। फूलों तथा हर्बल गुलाल से ही होली खेलें।

कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ पतंजलि संस्थान से सम्बद्ध सभी ईकाइयों के ईकाई प्रमुख, विभागाध्यक्ष, कर्मचारीगण, शैक्षणिक संस्थानों के प्राचार्यगण, शिक्षकगण, विद्यार्थीगण, कर्मचारीगण, संन्यासी भाई व साध्वी बहनें उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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