हिसार : सफल जीवन के लिए विनय, विवेक, वात्सल्य और वैराग्य को अपनाओ : दिनेश मुनिमहाराज

दिनेश मुनि महाराज व विनीत मुनि महाराज ने दिए प्रवचन

हिसार, 10 फरवरी (हि.स.)। गुरु सुदर्शन संघ के मुनिराज संघ नायक शास्त्री पदम

चंद महाराज के सुशिष्य एवं संघ संचालक नरेश चंद महाराज के आज्ञानुवर्ती पं. दिनेश मुनि

महाराज व विनीत मुनि महाराज ठाणे-2 के हिसार पहुंचने पर सोमवार को सेक्टर 14 में धर्म

सभा की गई। सैंकड़ों लोगों ने सभा में भाग लेकर धर्म लाभ लिया।

धर्म सभा में प्रवचन देते हुए दिनेश मुनि महाराज ने कहा कि जीवन में चार बातों

को अपना लो तो मनुष्य जीवन सुधर जाएगा। उन्होंने बताया इनमें विनय, विवेक, वात्सल्य

व वैराग्य शामिल है। उन्होंने विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि विनय अर्थात विनम्रता

को अपना लेना या ढल जाना। किसी से यदि कुछ प्राप्त करना है तो धौंस दिखाकर कभी नहीं

प्राप्त किया जा सकता। झुकने से ही सब कुछ मिलता है। जो करता विनय है वह पाता विजय

है.. .. भजन सुना कर सभी को प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि जिंदगी में विनम्रता आ गई

तो समझो सब कुछ प्राप्त हो गया। विवेक पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे बुरे की

जानकारी होना, हर हिसाब से विवेक में रहना, बड़ों को सम्मान देना, पूरे परिवार का ध्यान

रखना चाहिये। भगवान शिव की तीसरी आंख भी विवेक की ही आंख थी। शुद्ध खानपान होना चाहिए,

बुजुर्गों द्वारा दिए गए संस्कारों को कायम रखना चाहिए। गलत दिशा में नहीं जाना चाहिए।

सावधानी बरतने की जरूरत है। वात्सल्य अर्थात प्रेम का भाव पेड़ जब फल देता है तो वह

भी झुक जाता है। यह उसका बड़प्पन है। हर इंसान अपनी जिंदगी जीने की तलाश अलग-अलग रूप

से करता है। कई बार मनुष्य को पता ही नहीं होता कि उसके जीवन कह्या लक्ष्य क्या है।

पैसा कमाने पर भी शांति नहीं मिलती। इस पर

चिंतन करने की जरूरत है। यदि आपने भरपूर दौलत कमा ली है तो इसे बांटना भी सीखो। जीवन

में दान-पुण्य का विशेष महत्व है। वैराग्य के बारे में दिनेश मुनि महाराज ने कहा कि

जब सब कुछ व्यक्ति ने जीवन में कर लिया तो इसे छोडऩा भी तो जरूरी है। आज तक देवलोक

जाने वाला कोई भी व्यक्ति अपने साथ कुछ नहीं लेकर गया। मनुष्य खाली हाथ आया है और खाली

हाथ ही जाएगा। उन्होंने कहा कि जीवन में विनय, विवेक, वात्सल्य व वैराग्य को अपना लो

तो जीवन सफल हो जाएगा।

इससे पहले विनीत मुनि महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि किसी भी घर परिवार

के बारे में उनका रहन-सहन, खान-पान व संस्कारों से पता चलता है। उन्होंने कहा कि हमें

आपस में प्रेम पूर्वक रहना चाहिए। छोटों को बड़ों को पूरा सम्मान देना चाहिए। छोटी-छोटी

बात पर रूठना अथवा मुंह नहीं बनाना चाहिए। आज युवा पीढ़ी को सही दिशा में चलने की जरूरत

है। माता-पिता व परिवार के सम्मान को बनाए रखने के लिए सत्संग के साथ-साथ अच्छी बातों

को जीवन में ग्रहण करना चाहिए। मंच संचालन नवीन जैन ने किया। इस अवसर पर प्रवीन जैन,

सुभाष जैन एडवोकेट, आदिश जैन सीए, भरतराम, अमर, गौरव, आलोक, प्रवीन, अनिल जैन, नवीन,

कुक्कु, डॉ. रमेश जिंदल, दीपक, कपिल,, सुमेश, सुरेश सहित सैंकड़ों श्रद्धालु उपस्थित

रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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