शोभालाल की हाईटेक नर्सरी की शोभा है टमाटर और मिर्च की खेती, जिंक की समाधान परियोजना ने बदला स्वरूप

चित्तौड़गढ़, 23 अक्टूबर (हि.स.)। बाजार में उतरते चढ़ते भाव न सिर्फ उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं बल्कि किसानों के लिए भी यह बड़ी चुनौती हैं। खेती में नवाचारों से लागत मूल्य को कम कर एवं उत्पादन बढ़ा किसान काफी हद तक इसके प्रभावों से बच सकते हैं। इसी का उदाहरण हैं चित्तौड़गढ़ जिले की सुवानिया पंचायत के भवानीपुरा गांव के किसान शोभालाल। इन्होंने अपनी हाईटेक नर्सरी में टमाटर और मिर्च की खेती की जो कि आज उनकी नर्सरी की शोभा हैं।

शोभालाल 2016 से ही टमाटर की खेती कर रहे हैं लेकिन उनका तरीका पारम्परिक रहा हैं। इसमें क्यारी पद्धति से पौधे लगा कर उत्पादन लिया जाता हैं। इस पद्धति में खरपतवार और मौसमी बीमारियों से फसल की लागत बढती हैं। वहीं दूसरी तरफ गुणवता में कमी से बाजार में उपज का उचित दाम नहीं मिल पाता हैं। शोभालाल भी इसी चुनौती के साथ टमाटर और मिर्च की खेती करते आ रहे थे। वर्ष 2022 में उन्होंने हिन्दुस्तान जिंक की समाधान टीम के सहयोग से टमाटर की उन्नत खेती की शुरुआत की। इसमें उन्हे ड्रीप और मल्चिंग के प्रयोग से खरपतवार और मौसमी बीमारियों के प्रकोप को कम करने में मदद मिली। कम पानी में अधिक उत्पादन करने की यह तकनीक शोभालाल के लिये वरदान साबित हुई। समाधान परियोजना के तहत हिन्दुस्तान जिंक के सीएसआर ने आसपास के क्षेत्र में किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रेरित करने हेतु प्रशिक्षण से लेकर उन्नत खाद-बीज देने का कार्य किया जाता हैं। समय समय पर प्रगतिशील किसानों के खेतों का अवलोकन करवा कर भी उन्नत खेती के प्रति प्रेरित किया जाता है। पिछले तीन वर्षों से उन्नत खेती कर रहे शोभालाल टमाटर, खीरा ककड़ी और शिमला मिर्च सहित ब्रोकली जैसी महंगी सब्जियों की खेती कर आमदनी को लगातार बढ़ा रहे हैं। शोभालाल के खेत पर उच्च गुणवता की सब्जियां पैदा हो रही हैं, जिसकी बाजार में अच्छी मांग होने से भाव अच्छा मिल जाता हैं।

इस खेती को लेकर शोभालाल का कहना है कि उन्हें हाईटेक तकनीक से सब्जियां उगाने की कोई जानकारी नही थी, लेकिन हिन्दुस्तान जिंक की समाधान परियोजना से जुड़ने के बाद उन्हे नर्सरी में पौधे तैयार करने से लेकर उत्पादन लेने तक का प्रशिक्षण मिला। इससे वह प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में आया। शोभालाल का पुत्र सीताराम स्वरोजगार के रुप में उन्नत खेती को अपना कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। उनका कहना हैं कि पहले क्यारी विधि में पानी की जरुरत अधिक होने के साथ साथ कीट, रोग व खरपतवार की समस्या प्रमुख थी लेकिन अब ड्रीप व मल्चिंग से खेती के बाद इन सब समस्याओं से निजात पाने के साथ ही गुणवतापूर्ण उत्पादन और कम लागत से आमदनी बढ़ी हैं जो कि हिन्दुस्तान जिंक की समाधान परियोजना की देन हैं। परम्परागत तरीके से अच्छी आय नही मिल पाती थी जो 50 से 60 हजार प्रति बीघा थी। समाधान परियोजना से जुड़ने के बाद 2 से 2.5 लाख की आय प्राप्त हुई। इस वर्ष शोभा लाल को टमाटर व मिर्ची का काफी अच्छा भाव मिला टमाटर का 70-80 रुपये प्रति किलो व मिर्ची 50 रुपये किलो के भाव से बिकी और अभी उत्पादन हो रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल

   

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