पदक विजेता खिलाडय़िों की प्रोत्साहन राशि में ऐतिहासिक वृद्धि का खेल जगत ने किया स्वागत

मंडी, 12 जनवरी (हि.स.)। पैरा खेल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर एथलेटिक्स में रजत पदक जीतकर इतिहास रचने वाले मंडी जिला के अजय कुमार को उनकी उपलब्धियों के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष सम्मान दिया गया है। रजत पदक विजेता अजय को प्रदेश सरकार ने 2.50 करोड़ की पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया है। उन्होंने खिलाडिय़ों की पुरस्कार राशि में वृद्धि करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का धन्यवाद किया है। वर्ष 2023 में चीन में आयोजित पैरा एशियन गेम्स में अजय कुमार ने रजत पदक जीता है।

उनका कहना है कि हिमाचल सरकार खिलाडिय़ों के संघर्ष को उचित मान-सम्मान दे रही है। राज्य सरकार ने पुरस्कार राशि में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है ताकि खिलाड़ी प्रोत्साहित हों और अधिक से अधिक युवा खेलों के साथ जुड़ सकें। आज खिलाडिय़ों का सम्मान उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। पहले कोई खिलाड़ी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि सम्मान राशि में इतनी बढ़ोतरी एकमुश्त हो सकती है। पैरालंपिक खेलों, एशियाई खेलों तथा पैरा एशियाई खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों के लिए स्वर्ण पदक विजेताओं की पुरस्कार राशि में वृद्धि करते हुए हिमाचल सरकार ने इसे 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 4 करोड़ रुपये किया है। रजत पदक विजेताओं को 30 लाख रुपए के स्थान पर 2.50 करोड़ रुपए तथा कांस्य पदक विजेताओं की पुरस्कार राशि 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.50 करोड़ रुपए की है।

अजय कुमार का जन्म 28 जुलाई 1990 को जिला मंडी के नगवाईं में चुन्नी लाल के घर हुआ। बचपन से ही दिल में देश सेवा का सपना देखते हुए अजय 2010 में भारतीय सेना में भर्ती हुए। जम्मू-कश्मीर के उड़ी क्षेत्र में तैनाती के दौरान 14 नवंबर 2017 को एक आर्मी ऑपरेशन में दुश्मनों से लोहा लेते हुए उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया। इसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गईए मगर अजय ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। पैर खो जाने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपना जोश खोने नहीं दिया। पैरा खेलों की दुनिया से अजय का परिचय वर्ष 2018 में तब हुआए जब उनके किसी परिचित ने उन्हें हिमाचल प्रदेश पैरा स्पोट्र्स एसोसिएशन के संस्थापक और महासचिव ललित ठाकुर से मिलवाया। ललित ने उन्हें पैरा खेलों के प्रति प्रेरित किया। अजय को दौडऩे का शौक था। उन्होंने कृत्रिम जांघ से चलने और फिर दौडऩे का अभ्यास शुरू किया। फौज का जोश उनके सीने में फिर हुलारें मारने लगा और पैरालंपिक खेलों की तैयारियों के लिए वे नियमित रूप से अभ्यास सत्रों में जाने लगे। इस दौरान आर्टिफिशियल लिम्ब सेंटर पुणे ने उन्हें चीता रनिंग ब्लेड मुहैया करवाया। इसकी मदद से चलना व दौडऩे का अभ्यास किया और कुछ ही समय में वह इस में कुशल हो गए। अजय कुमार ने पैरा.एथलेटिक्स खेलों में जैसे दौड़ए शॉट पुटए जैवलिन थ्रो आदि में प्रशिक्षण शुरू किया। उनके कोच और परिवार ने उनकी कड़ी मेहनत में साथ दिया। उन्होंने अपना हुनर निखारना शुरू किया और वर्ष 2021 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर की पैरा चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और पैरा नेशनल खेलों में 6 स्वर्ण और 3 रजत पदक जीते। कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बूते उन्होंने वर्ष 2023 पैरा एशियाई खेलों में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व कर एथलेटिक्स में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने मोरक्को अन्तर्राष्ट्रीय ग्रैंड प्रिक्स में टी-400 मीटर दौड़ में भाग लिया और चीन के हॉनझाऊ में आयोजित चौथी पैरा एशियाई खेलों में अपनी जगह पक्की कीए जहां उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया। अजय का अपनी उपलब्धियों व सरकार के प्रोत्साहन से और अधिक आत्मविश्वास बढ़ा है। वर्तमान में वह 5वें पैरा एशियाई खेल 2026 और पैरालंपिक खेलों में पदक का लक्ष्य लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

   

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