आने वाले दिनों में संघर्ष और युद्ध ज्यादा हिंसक और अप्रत्याशित होंगे : राजनाथ 

-वीर गाथा कार्यक्रम में प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग के युद्ध तरीकों को दिखाया गया

पुणे, 15 जनवरी (हि.स.)। भारतीय सेना दिवस पर बुधवार की शाम को 'वीर गाथा' कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में संघर्ष और युद्ध ज्यादा हिंसक और अप्रत्याशित होंगे। इसीलिए सेना को मजबूत बनाने के लिए हम निरंतर प्रयासरत हैं। हमारी सेना आत्मनिर्भरता की राह पर आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रही है। सेना में अग्नि वीरों की भर्ती के बाद नया युवा जोश भी आया है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आमतौर पर जब भी भारतीय सेना का जिक्र आता है, तो लोग यही समझते हैं कि सेना हमें देश की सीमाओं पर होने वाले बाहरी आक्रमण से बचाती है। हालांकि, यह बात पूरी तरह से सही है कि हमारी सीमाएं आपके मजबूत हाथों में ही सुरक्षित हैं, लेकिन हमारी सेनाओं की भूमिका सिर्फ सीमाओं तक ही सीमित नहीं है। बाहरी चुनौतियों के साथ ही साथ आंतरिक चुनौतियों और प्राकृतिक आपदाओं में भी सेना की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिलती है। बीते 8 दशकों से हमारी थलसेना लगातार भारत की सीमाओं की सुरक्षा कर रही है।इतने बड़े योगदान व व्यापक इतिहास को देखते हुए थलसेना दिवस निश्चित रूप से हम सबके लिए एक गौरवमयी दिन होता है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि कई बार मुझे ऐसा लगता है कि थल सेना दिवस सिर्फ एक ही दिन क्यों मनाया जाता है। मैं तो मानता हूं कि हर दिन आपका है। साल के 365 दिन आपके हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर हुए बिना हम अपनी रणनीतिक स्वायत्तता हासिल नहीं कर सकते। भारत जैसा देश अपनी सुरक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकता है। हमारा डिफेंस सेक्टर आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से अपने कदम बढ़ा चुका है। भारतीय सेना को हमेशा मल्टी स्पेक्ट्रम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए हमारी भारतीय सेना को समग्र क्षमता निर्माण और सुधार पर दोनों का ध्यान केंद्रित करना है।

उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के तेजी से हो रहे विकास के कारण भविष्य के युद्धों की तस्वीर भी काफी हद तक बदल गई है। आज साइबर और स्पेस डोमेन बड़ी तेजी से नए युद्ध क्षेत्र के रूप में उभर रहे हैं। आने वाले दिनों में संघर्ष और युद्ध ज्यादा हिंसक और अप्रत्याशित होंगे। जब हम भारतीय सेना को आधुनिक युद्ध मशीन बनाने की बात करते हैं, तो हमें गतिशील भू-राजनीतिक विश्व व्यवस्था के साथ-साथ युद्ध के निरंतर अस्थिर चरित्र पर भी ध्यान देना होगा।

कार्यक्रम में भारतीय युद्ध कलाओं का प्रदर्शन करके प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग के युद्ध तरीकों को दिखाया गया। मराठाओं की युद्धकला को दर्शाते हुए मलखम्ब के प्रदर्शन ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को रोमांच से भर दिया। रामायण और महाभारत काल को भारतीय युद्ध के लिहाज से सबसे प्राचीन बताया गया। आधुनिक युग में दुश्मन के ठिकाने पर हमला बोलकर आतंकवादी को जिंदा पकड़ने के ऑपरेशन में भारतीय सेना का रोंगटे खड़े कर देने वाला साहस दिखाई दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम

   

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