भारत-नेपाल संबंधों की जड़ें: गुरु मच्छिंद्रनाथ पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी गौहाटी विवि में आयोजित
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- Feb 10, 2025
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गुवाहाटी, 10 फरवरी (हि.स.)। गौहाटी विश्वविद्यालय में आज से 11 फरवरी तक भारत-नेपाल संबंधों की जड़ें: गुरु मच्छिंद्रनाथ का दृष्टिकोण विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई है। उद्घाटन सत्र पीडी हॉल, गौहाटी विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ। इस संगोष्ठी में भारत और नेपाल के विद्वानों ने भाग लिया और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों पर विचार विमर्श किया।
गुरु मच्छिंद्रनाथ, जिन्हें मत्स्येंद्रनाथ, मीननाथ और मिनापा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू और बौद्ध परंपराओं में पूजनीय हैं। माना जाता है कि वे प्राचीन कामरूप (वर्तमान असम) से थे और नेपाल के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोककथाओं के अनुसार, उनके नेपाल आगमन से वहां वर्षा हुई, जिससे भारत-नेपाल के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंध स्थापित हुए।
उद्घाटन सत्र में प्रमुख अतिथियों में मुख्य अतिथि प्रो. नोनी गोपाल महंत, कुलपति, गौहाटी विश्वविद्यालय, मुख्य वक्ता चिरी बाबु महर्जन, मेयर, ललितपुर महानगरपालिका, नेपाल, सम्मानित अतिथि प्रो. डंबरुधर नाथ, पूर्व कुलपति, माजुली सांस्कृतिक विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि प्रो. वसंत शिंदे, पूर्व कुलपति, डेक्कन कॉलेज, पूणे तथा इस संगोष्ठी के समन्वयक डॉ. खगेन शर्मा, विभागीय संकाय, एमआईएल और एलएस विभाग, गौहाटी विश्वविद्यालय थे।
इस दौरान विद्वानों ने गुरु मच्छिंद्रनाथ की शिक्षाओं, कामरूप से नेपाल तक की यात्रा और भारत-नेपाल संबंधों की ऐतिहासिक नींव पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम ने दोनों देशों की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश