लोकभाषा कुमाउनी के लिये एआई अनुवाद मॉडल के लिए मिली इंटर्नशिप

नैनीताल, 3 मार्च (हि.स.)।आज के दौर में हर क्षेत्र में एआई यानी कृत्रिम बौद्धिकता का उपयोग किया जा रहा है, किंतु उत्तराखंड की प्रमुख लोकभाषा कुमाउनी के लिये अब तक एआई उपलब्ध नहीं है। इन स्थितियों के बीच ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के भीमताल परिसर के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर बिष्ट ने ‘एआई फॉर कुमाऊंनी वाणी: स्थानीय विरासत का संरक्षण’ परियोजना की शुरुआत कर एक ऐतिहासिक पहल की है। यह भारत का पहला स्थानीय अनुवाद मॉडल है, जो कुमाउनी भाषा के संरक्षण और संवर्धन पर केंद्रित है।

परियोजना के अंतर्गत बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र अतुल जोशी को अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित वॉलमार्ट में कार्यरत भारतीय मूल के नीलेश कुमार तंवर के आर्थिक सहयोग से सशुल्क इंटर्नशिप प्राप्त हुई है। अतुल उत्तराखंड के रुद्रपुर निवासी नवीन चंद्र जोशी एवं गीता जोशी के सुपुत्र हैं। तकनीकी दृष्टि से यह एक क्रांतिकारी कदम है, जिसमें परियोजना के प्रथम चरण में कुमाउनी भाषा का सुव्यवस्थित डेटा सेट तैयार कर एआई मॉडल को प्रशिक्षित किया गया। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और अब मॉडल की सटीकता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त ट्यूनिंग की योजना बनाई जा रही है, जिससे यह और अधिक प्रभावी हो सके।

बताया गया है कि यह पहल स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और कुमाउनी भाषा को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थापित करने के उद्देश्य से की गई है। इसके माध्यम से सरकारी और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कुमाउनी भाषा में सामग्री उपलब्ध कराना आसान होगा, जिससे यह भाषा और इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके। यह भी बताया गया है कि यह परियोजना प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के अनुरूप है, जो स्थानीय भाषाओं और संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है और यह पहल उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को डिजिटल युग में नई मजबूती देने का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकती है।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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