जेयू ने लिंग संवेदनशीलता कार्यशाला आयोजित की

जम्मू 18 फरवरी (हि.स.)। जम्मू विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र ने जम्मू विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पीजी छात्रों के लिए लिंग संवेदनशीलता कार्यशाला आयोजित की।

महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रो. सविता नैयर संसाधन व्यक्ति थीं। उन्होंने विभिन्न लिंग भूमिकाओं और सामाजिक अपेक्षाओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए सत्र की शुरुआत की। इसके अलावा उन्होंने लिंग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की और समाज में महिलाओं की दोयम दर्जे की स्थिति के बारे में बताया जो पितृसत्तात्मक मानसिकता के कारण है और जिसे बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एक व्यक्ति की मानसिकता जन्मजात प्रवृत्तियों, सीखे हुए व्यवहारों, सांस्कृतिक मानदंडों, व्यक्तिगत अनुभवों के जटिल अंतर्संबंध के माध्यम से लिंग के बारे में उनकी धारणा को आकार देती है और इन प्रभावों को समझकर व्यक्तियों को रूढ़ियों को चुनौती देने और लिंग विविधता की अधिक स्वीकार्यता को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। उन्होंने भारतीय समाज पर गहन जानकारी दी जिसमें उन्होंने दहेज, घरेलू हिंसा से संबंधित मुद्दों पर बात की और बताया कि कैसे इन सभी को उपहार देने की परंपरा के नाम पर उचित ठहराया गया है और कैसे इसका लिंग दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा उन्होंने इन सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए विभिन्न कानूनी प्रावधानों के बारे में भी विस्तार से बताया और बताया कि समाज के रूप में हम किस तरह से समाज में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए इन कानूनों के कार्यान्वयन में मदद कर सकते हैं। कार्यशाला में बड़ी संख्या में संकाय सदस्यों और छात्रों ने बहुत उत्साहपूर्वक भाग लिया और विभिन्न प्रश्न पूछे जिनका उत्तर उन्हें संतुष्टिपूर्वक दिया गया। सुश्री कुंजांग एंगमो ने कार्यक्रम का संचालन और समन्वय किया और डॉ. सरनजीत कौर ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया दोनों ही महिला अध्ययन केंद्र की संकाय सदस्य थीं।

हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी

   

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