पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगोपाध्याय का बयान : योग्य-अयोग्य की पहचान अब भी संभव

मुख्यमंत्री को दिया कमेटी बनाने का सुझाव

कोलकाता, 4 अप्रैल (हि.स.) । शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगोपाध्याय ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अब भी योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों को अलग-अलग पहचाना जा सकता है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से एक विशेष समिति बनाने की अपील की है, जो नौकरी गंवा चुके उम्मीदवारों के समर्थन में कार्य करे।

गांगोपाध्याय वही पूर्व न्यायाधीश हैं, जिन्होंने उच्च न्यायालय में रहते हुए स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दिया था। उस फैसले को बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां से अब जाकर नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया है। इस फैसले से लगभग 26 हजार शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियां चली गई हैं।

भाजपा सांसद गांगोपाध्याय ने कहा, “अब दोषारोपण का समय नहीं है, बल्कि समाधान की ओर बढ़ने का समय है। अब भी योग्य और अयोग्य अभ्यर्थियों की पहचान की जा सकती है।” उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संबोधित करते हुए कहा, “दीदी, एक कमेटी बनाइए जो योग्य अभ्यर्थियों की पहचान कर सके। ज़रूरत हो तो मैं भी उस कमेटी में शामिल होने को तैयार हूं।”

पूर्व न्यायाधीश ने इस प्रस्तावित समिति में वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश भट्टाचार्य और अधिवक्ता फिरदौस शमीम को भी शामिल करने का सुझाव दिया है।

हालांकि, भाजपा सांसद के इस सुझाव को अन्य राजनीतिक दलों ने गंभीरता से नहीं लिया है। माकपा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश भट्टाचार्य ने कहा, “अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, ऐसे में इस तरह के बयानों से कुछ हासिल नहीं होगा।”

वहीं, तृणमूल सांसद और अधिवक्ता कल्याण बंद्योपाध्याय ने कहा, “समाधान केवल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही संभव है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में पुनर्विचार की कोई गुंजाइश नहीं होती। भाजपा नेता जो कुछ कह रहे हैं, वह अर्थहीन है।”

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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