भारतीय किसान संघ की दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक, पूर्वोत्तर के किसानों के विकास को लेकर प्रस्ताव

भाकिसं की गुवाहाटी में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक में हिस्सा लेते पदाधिकारी।

गुवाहाटी, 06 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय किसान संघ (भाकिसं) की असम की राजधानी गुवाहाटी में आयोजित हुई दो दिवसीय (5 व 6 दिसंबर) अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक में पूर्वोत्तर राज्यों की कृषि व किसानों की स्थिति, प्राकृतिक आपदा से प्रभाव, स्थानीय संघर्ष, पलायन को लेकर चिंता व्यक्त की गई। इसके साथ पराली जलाने के नाम पर किसानों की छवि खराब करने, जीएम बीजों को लेकर शासन की ढुलमुल नीति, गुणवत्ता युक्त खाद, बीज, बिजली एवं पानी के लिए किसानों के मुश्किलों पर भी चर्चा की गई।

कार्यकारिणी बैठक में पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को लेकर प्रस्ताव पास किया गया। इसकी जानकारी देते हुए संगठन के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने बताया कि कार्यकारिणी बैठक में पूर्वोत्तर राज्यों की कृषि, किसान को स्वावलंबी और संपन्न बनाने की दृष्टि से प्रस्ताव पास कर सरकार को सुझाव भेजे गए हैं। जिन पर सरकार से शीघ्र निर्णय लेने का आग्रह किया गया है।

पूर्वोत्तर राज्यों के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के समक्ष रखी मांगबैठक में किसान संघ ने पारित प्रस्ताव में राज्य व केंद्र सरकार को सुझाव भेजा कि पूर्वोत्तर राज्यों में अशांति के माहौल के चलते औद्योगिक विकास नहीं के बराबर है, जिससे बेरोजगारी क्षेत्र के लिए बड़ी समस्या बन गई है। ऐसे में कृषि क्षेत्र के विकास की दृष्टि से पूर्वोत्तर राज्यों में छोटी जोत के लिए छोटे-छोटे यंत्रों पर अनुदान देकर उनकी व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए। जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए प्रस्ताव में छोटी-छोटी जैविक मंडी की श्रृंखला खड़ी करने की बात भी कही गई है। साथ ही जैविक उत्पाद की प्रोसेसिंग, आधारभूत संरचना विकसित करने, मार्केट उपलब्ध कराने, देश के अन्य क्षेत्रों में उत्पाद ले जाने, ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था करने की मांग प्रस्ताव में शामिल हैं। जिला स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण इकाई, बिजली, सिंचाई, सामूहिक प्रशीतन गृह निर्माण के लिए अधोसंरचना तैयार करने के सुझाव पारित प्रस्ताव में शामिल हैं।

किसान एवं खेती के उत्थान के बिना देश का उत्थान नहीं-दिनेश कुलकर्णीसमापन सत्र को संबोधित करते हुए किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि किसान एवं खेती के उत्थान के बिना देश का उत्थान नहीं हो सकता। 2047 का विकसित भारत कैसा होगा, हमारी क्या भूमिका हो इस विषय पर कुलकर्णी ने कहा कि कृषि देश में सबसे अधिक रोजगार सृजन करने वाला क्षेत्र है। इस दृष्टि से पशुधन, पशुधन के आधार पर खेती और प्रसंस्करण के साथ व्यापार की तरफ बढ़ना होगा। कुलकर्णी ने 2047 के लिए विकसित भारत की कल्पना को पूर्ण करने के लिए गौ कृषि वाणिज्यम के मॉडल को उपयुक्त बताया। जिससे गांव एवं किसान संपन्न होंगे और हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

जीएम का आंदोलन समाज के लिएकिसान संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक में जीएम फसलों की अनुमति देने एवं उसके खिलाफ देशभर के सांसदों को सौंपे जा रहे ज्ञापन आंदोलन के विषय पर विस्तृत चर्चा हुई। किसान प्रतिनिधियों का कहना था कि जीएम सिर्फ किसान के लाभ-हानि का मुद्दा नहीं है। यह सीधे देश के आम नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है। किसान संघ का मानना है कि जीएम फसलों की अनुमति से सीधे देश के नागरिकों, पर्यावरण एवं जुड़े हितधारकों के जीवन से खिलवाड़ होगा। इसलिए इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। किसान संघ ने देश के नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि जीएम फसलों के खिलाफ आंदोलन आम नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा का आंदोलन है। समाज को भी अपनी भागीदारी इस आंदोलन में सुनिश्चित करनी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय

   

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