किसान सभा का धर्मशाला में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

धर्मशाला, 11 फ़रवरी (हि.स.)।जमीन से बेदखली तथा अन्य मुददों को लेकर सीटू के नेतृत्व में मंगलवार को हिमाचल किसान सभा तथा सेब उत्पादन संघ इकाई ने धर्मशाला में प्रदेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। इस दौरान सीटू कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा अपनी मांगों को लेकर उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के एक ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर हिमाचल किसान सभा के नेता शकीनी राम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं, जैसे भूकंप, बादल फटना, अचानक बाढ़ आना, ग्लेशियरों का पिघलना और खिसकना, भूस्खलन आदि, जिसके परिणामस्वरूप कृषि भूमि का नुकसान होता है, जो पिछले दो वर्षों में बहुत बड़े पैमाने पर देखा गया है। कई मामलों में किसानों के पास कोई भूमि नहीं बचती, यहां तक कि घर बनाने के लिए भी नहीं।

विरोध कर रहे लोगों का कहना था कि प्रदेश राज्य के मामले में दिसंबर 2024 में तपोवन में आयोजित हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नियम 102 के तहत सरकारी संकल्प को अपनाने के संबंध में एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया जाए, ताकि सभी भूमिहीन और छोटे और सीमांत किसानों और उन लोगों को भी 10 बीघा तक भूमि प्रदान की जा सके जिनकी कृषि भूमि प्राकृतिक आपदा से नष्ट हो गई है। इसके लिए केंद्र सरकार से 1980 के वन संरक्षण अधिनियम में उचित संशोधन करने का अनुरोध किया जाए। उन्होंने कहा भूमिहीन एवं गरीब किसानों को कम से कम 5 बीघा कृषि भूमि दी जाए और नियमित की जाए। साथ ही वनाधिकार अधिनियम के तहत उपयुक्त अधिकारियों को अधिनियम के तहत किसानों द्वारा किए गए सभी दावों को स्वीकार करने का निर्देश दिया जाए और सरकार द्वारा मासिक आधार पर इसकी निगरानी की जाए।

उन्होंने कहा सभी भूमिहीन व्यक्तियों को सरकार की नीति के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश दी और तीन बिस्वा भूमि प्रदान की जाए और जब तक उन्हें उपयुक्त भूमि आबंटित नहीं की जाती है, तब तक उनके आवास से बेदखल न किया जाए। वहीं वर्ष 2023 की प्राकृतिक आपदा में जिनके घर नष्ट हो गए हैं, उन्हें 7 लाख रुपये प्रदान करने का विशेष पैकेज उन लोगों को भी दिया जाए जिन्होंने गैर-म्यूटेटेड नौतोड़ भूमि पर अपने घर बनाए हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

   

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