ऑस्ट्रेलिया की ब्रिजेट कॉट्रिल को ब्रिसबेन ओलंपिक में खो-खो के शामिल होने की उम्मीद

नई दिल्ली, 15 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में चल रहे पहले खो-खो विश्व कप ने खेल प्रेमियों के बीच उत्साह की लहर दौड़ा दी है। 23 देशों के खिलाड़ियों की 20 पुरुष और 19 महिला टीमों ने इस वैश्विक आयोजन में भाग लिया है।

ऑस्ट्रेलियाई महिला टीम की उप कप्तान ब्रिजेट कॉट्रिल ने इस आयोजन का हिस्सा बनकर खुशी जताई और उम्मीद जाहिर की कि खो-खो को 2032 में ब्रिसबेन में होने वाले ओलंपिक खेलों में जगह मिलेगी।

उन्होंने कहा, हमने शानदार प्रदर्शन किया है। हालांकि परिणाम हमारे पक्ष में नहीं रहा, लेकिन टीम के साथ खेलना एक बेहतरीन अनुभव रहा। यह पहली बार था जब हम एक पूरी टीम के रूप में खेले। हम ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग शहरों से हैं, इसलिए एक साथ आकर खेलना वाकई अद्भुत था।

ब्रिजेट ने भारत में खो-खो खेलने का अनुभव साझा करते हुए कहा, भारत आना मेरे लिए बेहद खास रहा। यहाँ की संस्कृति, लोगों का मित्रतापूर्ण व्यवहार, और स्टेडियम तक हर दिन की यात्रा सबकुछ अविस्मरणीय रहा है।

पूर्व में नेटबॉल, बास्केटबॉल और घुड़सवारी खेल चुकी ब्रिजेट ने खो-खो से जुड़े अपने सफर को साझा किया। उन्होंने कहा, मैंने पहले कभी खो-खो के बारे में नहीं सुना था। मेरे एक दोस्त ने मुझे इस खेल से जोड़ा। हमने नियम सीखे, टीम बनाई और नियमित प्रशिक्षण लिया। मेरे धीरज और लंबी दूरी की दौड़ के अनुभव ने मुझे इस खेल की बारीकियाँ जल्दी सीखने में मदद की।

ब्रिजेट ने खो-खो को एक अनोखा खेल बताते हुए इसे आधा शतरंज, आधा दौड़ने का धीरज वाला खेल करार दिया।

ऑस्ट्रेलिया की जो एल्बरी से आने वाली ब्रिजेट, पेशे से एक पब्लिक सर्वेंट हैं और प्रशांत क्षेत्र में जलवायु नीति पर काम करती हैं। उन्होंने भारत के प्रति अपने विशेष लगाव को व्यक्त करते हुए कहा, भारत मेरी हमेशा से यात्रा सूची में था। यहाँ आना और यहाँ के अविश्वसनीय लोगों और संस्कृति का अनुभव करना एक सपना पूरा होने जैसा है।

खो-खो विश्व कप जैसे आयोजनों से खेल के प्रति वैश्विक पहचान बढ़ रही है। उम्मीद है कि ब्रिजबेन ओलंपिक 2032 में खो-खो को भी एक नई पहचान मिलेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे

   

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