झज्जर : सेठ ताराचंद का सांग देखने उमड़ पड़ी भीड़

झज्जर, 5 नवंबर (हि.स.)। बहादुरगढ़ के लाइनपार स्थित कवि सूर्य पंडित लख्मीचन्द धर्मशाला समिति में आयोजित हरियाणवी सांग के दूसरे दिन मंगलवार को प्रसिद्ध सांगी पंडित विष्णुदत्त व उनकी टीम ने लोगों के उत्साह को देखते हुए सेठ ताराचंद के सांग का दूसरा भाग प्रस्तुत किया। सांग देखने के लिए हरियाणवी संस्कृति प्रेमियों की भीड़ उमड़ पड़ी।

सांग समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक राजेश जून उपस्थित रहे। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पंडित लख्मीचन्द ने ऐसी रचनाएं की जो आज के युग में सच सिद्ध हो रही हैं। विधायक राजेश जून ने धर्मशाला समिति को एक लाख एक हजार रुपये का सहयोग दिया। हरियाणवी संस्कृति को जीवित रखने में पंडित लख्मीचन्द के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

पंडित विष्णुदत ने सांग के माध्यम से बताया कि सेठ ताराचंद का बेटा चन्द्रगुप्त अपनी पत्नी धर्म मालकी के साथ जहाज में हापुड़ के लिए चल पड़ते हैं। चन्द्रगुप्त अपनी पत्नी को छोड़कर हापुड़ आ जाते हैं और मंशा सेठ को व्यापार का हिसाब देते हैं। धर्म मालकी एक साधु के वेश में दिल्ली आ जाती हैं और एक दिन जंगल में साधु के तप करने लगती हैं। यहाँ एक दिन चन्द्रगुप्त के पिता सेठ ताराचंद भी साधु से मिलने आते हैं।

वह सेठ ताराचन्द को कहती हैं कि सुबह इस धूणे से कुछ ले जाना। जब ताराचन्द धूणे की राख टटोलते हैं तो उसमें एक सोने का कंगन मिलता है। उस कंगन को बेचकर सेठ अपने बेटे को गिरवी से मुक्त कराकर घर लाते हैं। जब घर में उन्होंने साधु के वेश में अपनी पत्नी धर्म मालकी को देखा तो काफी प्रश्न होते हैं। इस अवसर पर पूर्व पार्षद युवराज छिल्लर, बलराज दलाल, जयविरेन्द्र सहरावत, धर्मशाला समिति के सरक्षंक पाले राम शर्मा, प्रधान प्रवीण शर्मा, महासचिव सतीश शर्मा, उपप्रधान बलराम गौतम, सचिव हरिओम हरितश, कोषाध्यक्ष रमेश शर्मा, पंडित मामनराम आदि उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / शील भारद्वाज

   

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