नेता प्रतिपक्ष ने कैग रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार के शराब घोटाले की खोली पोल
- Admin Admin
- Jan 11, 2025
नई दिल्ली, 11 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कैग की रिपोर्ट को लेकर सोशल मीडिया पर साझा की जा रही जानकारी का हवाला देते हुए केजरीवाल को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि कैग की इस रिपोर्ट ने केजरीवाल सरकार की शराब नीति और कार्यप्रणाली को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने किस हद तक भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, यह उसका ज्वलंत उदाहरण है।
उन्होने बताया कि कैग रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। यह घोटाला केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का सबूत है। आबकारी नीति की आड़ में केजरीवाल ने न केवल सरकारी खजाने को चोट पहुंचाई है, बल्कि दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात भी किया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने कैग रिपोर्ट पर विशेषज्ञों की सिफारिशों को पूरी तरह नजरअंदाज किया। विशेषज्ञ पैनल ने कई ठोस सुझाव दिए थे लेकिन मंत्रियों के नेता मनीष सिसोदिया ने इन सिफारिशों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से आबकारी नीति बनाई। उन्होंने कहा कि शराब नीति के कार्यान्वयन में वित्तीय गड़बड़ियों का स्तर इतना गंभीर था कि शिकायतों के बावजूद हर कंपनी को बोली लगाने की अनुमति दी गई ताकि आआपा भ्रष्टाचार कर सके।
गुप्ता ने कहा कि शराब नीति को लागू करने से पहले न तो कैबिनेट और न ही उपराज्यपाल से मंजूरी ली गई। यह संविधान और प्रशासनिक प्रक्रिया का सीधा उल्लंघन है। केजरीवाल सरकार ने अपने तरीके से फैसले लिये और इसके परिणामस्वरूप सरकार का राजस्व गंभीर रूप से प्रभावित हुआ। शराब नीति का क्रियान्वयन इतना खराब था कि कई वेंडरों ने बीच में ही लाइसेंस सरेंडर कर दिए। इसके बावजूद सरकार ने उन लाइसेंसों के लिए फिर से टेंडर जारी नहीं किए। इसी वजह से खजाने को 890 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय लाइसेंसधारकों को दी गई अनुचित छूट के कारण 941 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बताया गया कि कोविड प्रतिबंधों का बहाना बनाकर लाइसेंसधारकों को 144 करोड़ रुपये की छूट दे दी गई, जबकि निविदा दस्तावेज़ में यह स्पष्ट उल्लेख था कि व्यावसायिक जोखिम केवल लाइसेंसधारकों का होगा।
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी ईमानदारी और पारदर्शिता की छवि के जरिए जनता को धोखा दिया है। इस रिपोर्ट से साफ हो गया है कि उनकी सरकार की प्राथमिकता दिल्ली की जनता नहीं, बल्कि अपने नेताओं की जेबें भरनी थीं। केजरीवाल को जनता को यह बताना चाहिए कि जब उनकी सरकार ने यह नीति लागू की, तो विशेषज्ञों की सिफारिशों को क्यों दरकिनार किया गया। उन्होंने जनता के हित में काम करने की बजाय नीति को चंद लोगों के फायदे के लिए क्यों बदल दिया?
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हिन्दुस्थान समाचार / माधवी त्रिपाठी