साहित्य एवं कला महोत्सव : संवाद, साहित्य और संस्कृति का संगम

नैनीताल, 17 नवंबर (हि.स.)। ‘हिमालयन इकोज’ के तत्वावधान में सरोवरनगरी के एबॉट्सफोर्ड हाउस में आयोजित हो रहे ‘साहित्य एवं कला महोत्सव’ के नौवें संस्करण में दूसरे दिन संवाद, साहित्य और संस्कृति का संगम देखने को मिला। इस दौरान शिक्षा, पर्यावरण, समानता, न्याय, मानसिक स्वास्थ्य और साहित्य आदि के विभिन्न विषयों पर सजीव चर्चाएं हुईं। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण कुमाऊं क्षेत्र की संस्कृति का प्रतीक पारंपरिक छोलिया नृत्य रहा।

श्री अरविंदो आश्रम की मार्गदर्शक अंजु खन्ना ने विजयलक्ष्मी बोस के साथ संवाद में ध्यान और इसकी प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए शिक्षा में डिजाइन थिंकिंग, माइंड मैपिंग और पारिस्थितिकी आधारित पाठ्यक्रम की आवश्यकता पर बल दिया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध लेखक विकास स्वरूप ने अंबरीन खान से संवाद करते हुए अपनी नवीनतम पुस्तक ‘द गर्ल विद द सेवन लाइव्स’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कथा साहित्य में संघर्ष का होना इसे रोचक बनाता है।

एस नतेश ने अपनी पुस्तक ‘आइकॉनिक ट्रीज ऑफ इंडिया’ के माध्यम से वृक्षों के पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक महत्व पर चर्चा की और उत्तराखंड के ऐतिहासिक वृक्षों का उल्लेख करते हुए बताया कि उनकी पुस्तक आठ वर्षों के शोध का परिणाम है।

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ किरपाल ने समानता और न्याय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने न्यायिक निर्णयों में नैतिकता और समानता के महत्व को रेखांकित किया।

लेखक सुजीव शाक्य ने व्यक्तिगत आंतरिक यात्रा और हिमालय के नागरिक के रूप में अपनी पहचान पर चर्चा की। उन्होंने आभार व्यक्त करने और संवाद को क्षेत्रीय विकास के लिए आवश्यक बताया।

इसी तरह उर्दू साहित्य की विशेषज्ञ रख्शंदा जलील ने हिमालय को भारत के लिए एक रूपक के रूप में प्रस्तुत करते हुए उर्दू कवियों की हिमालय पर आधारित कविताओं की व्याख्या की।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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