तीर्थों से समाज को प्राण शक्ति मिलती है : चंपत राय

- टूरिज्म में एक डेस्क तीर्थाटन की होनी चाहिए

लखनऊ, 12 मार्च (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि भारत तीर्थों का देश है। तीर्थों से समाज को प्राण शक्ति मिलती है। तीर्थ त्योहार भारत के अंतरमन को दर्शा​ते हैं। महाकुंभ जैसे आयोजन समाज को विखण्डित करने वाली शक्तियों को भी भारत का दर्शन कराते हैं। वे बुधवार को यहां एक होटल में पांचजन्य की ओर से आयोजित मंथन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

चंपत राय ने कहा कि टूरिज्म विभाग में एक डेस्क तीर्थाटन की होनी चाहिए। पर्यटन व तीर्थाटन दोनों अलग-अलग चीजें हैं। वैष्णोदेवी, अमरनाथ यात्रा, शबरीमाला एवं हरिद्वार में लोग तीर्थाटन के लिए जाते हैं। पर्यटन के लिए नैनीताल एवं गोवा जाते हैं। पर्यटन एवं तीर्थाटन पर जाने से ह्रदय व मस्तिष्क पर अलग-अलग विचार आते हैं। तीर्थाटन सदगुणों का विकास करता है।

उन्होंने कहा कि हमारा समाज कितना धैर्यवान है। यह महाकुंभ के दौरान देखने को मिला। कई किलोमीटर पैदल चलने के बावजूद गंगा में डुबकी लगाने के बाद सारे कष्ट भूल जाते थे।

राम मंदिर से हिन्दुओं का सम्मान वापस आया

चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। हिन्दुस्थान के सम्मान व स्वाभिमान के मंदिर को लोगों ने आत्मा से जोड़ा। हिन्दुओं का जो सम्मान गया था वह वापस आया। महाकुंभ के दौरान प्रतिदिन 4 से 5 लाख श्रद्धालु प्रतिदिन अयोध्या आ रहे थे। उन्होंने बताया कि 1989 के कुंभ से हमारा संबंध रहा है। प्रत्येक कुंभ में बसंत पंचमी के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से कमी आती थी। इस बार बसंत पंचमी के बाद बढ़ती संख्या देखकर आश्चर्य हुआ। सरकार की व्यवस्था व उसकी जानकारी का परिणाम हुआ जिसके कारण देश के सभी हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में आए।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री तीर्थों के विकास का परिणाम सरकार पर भी हुआ है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद बिजली बिल एवं जीएसटी के रूप में करीब 400 करोड़ रुपये श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से सरकार के खाते में गया है। भारत एवं उत्तर प्रदेश की सरकार ने इसके महत्व को समझा एवं योग्य लोगों को इस काम में लगाया। पहले एक मेले की गंदगी दूसरे मेले में साफ होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

   

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