ज्ञान महाकुम्भ : 'इंडिया' शब्द हमें कतई स्वीकार्य नहीं, हमारा देश है 'भारत'
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- Feb 01, 2025
-शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के तत्वाधान में आयोजित हो रहा है ज्ञान महाकुम्भ
महाकुम्भनगर, 01 फरवरी (हि.स.)। महाकुम्भ में शिक्षा, संस्कृति उत्थान न्यास के तत्वाधान में आयोजित ज्ञान महाकुम्भ में भारत को इंडिया कहे जाने की सार्थकता को लेकर महामंथन में देशभर से पहुंची विद्वत हस्तियों ने मुखरता से इस शब्द पर अपना कड़ा ऐतराज जताया। शनिवार को ज्ञान महाकुम्भ में बतौर मुख्य अतिथि एम गुरुजी ने कड़े शब्दों में कहा कि ये भारत है, हम भारतीय हैं और हम भारत की ही चिंता करते हैं। इंडिया शब्द से हमारा कोई संबंध नहीं। हम कभी इसे मान्यता नहीं दे सकते। इस दौरान समूचा परिसर भारत माता की जय के नारे से गुंजित हो गया। डॉ. मोतीलाल गुप्ता ने इंडिया शब्द को सिर्फ नाम तक सीमित बताया। उन्होंने कहा भारत हमारे लिए भावना है। हमारे पूर्वजों की विरासत है जो सिर्फ़ एक भू-भाग तक सीमित नहीं बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिबिंब है।
कार्यक्रम में शाम्भवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप सरस्वती महाराज ने भारत को समर्थन देने के साथ ही वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर भी अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। उन्होंने कहा भारत में अग्रसर विदेशी स्कूली शिक्षा की प्रणाली पर करोड़ों रुपये व्यर्थ करना हरगिज जायज़ नहीं है। हमें गुरुकुल की परंपरा को एक बार फिर देश में विद्यमान करना होगा। जनता की आवाज फाउंडेशन के अध्यक्ष सुंदरलाल बोथरा ने इंडिया नाम के पीछे के सभी तथ्यों को खारिज करते हुए कहा कि अगर हीरालाल को डायमंड नहीं कह सकते तो भारत को इंडिया क्यों ? अनुवाद एक हद ही सीमित रखना चाहिए और अगर हमारे महान भारत पर ऐसे किसी निरर्थक तथ्य को थोपा जाएगा तो हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
साध्वी समदर्शी गिरी ने कहा कि जब तक मैकाले की शिक्षा प्रणाली को हम जड़ से उखाड़ फेंक नहीं देंगे, तब तक इंडिया शब्द का अस्तित्व रहेगा। हमें अपनी भाषा, अपने राष्ट्र को चौतरफा सुरक्षित करना है और अनंतकाल के लिए इसके गरिमामयी भविष्य में योगदान देना है। प्रयागराज ट्रिपिल आईटी के डायरेक्टर मुकुल सुतावने ने ज्ञान महाकुंभ में बैठी जनता से अपने संस्थान के योगदान के बारे में बताया। कहा कि एक नई और अपने आप में बदलाव के लिए पूर्ण पहल को अग्रसर करते हुए हमारे संस्थान के लेटर हेड में इंडिया के साथ भारत का भी प्रयोग अब बढ़-चढ़कर किया जा रहा है।शिक्षा, संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ.अतुल भाई कोठारी ने कहा कि विदेशी संस्कारों ने हमारे देश में अपनी जड़ें जमाई हैं, इसलिए हमें धीरे-धीरे करके भारत नाम को अपनी आदत में लाना होगा। अगर आप एक बार इंडिया बोलें तो साथ में भारत भी जरूर कहें। हर संभव प्रयास के जरिए हमारे भारत को संबल दें। उद्योगपति घेवरचंद्र वोरा ने कहा कि हमारे उद्योग का विस्तार विश्व के 40 देशों में है, हमारी पूरी कोशिश रहती है कि भारत शब्द का अधिकाधिक प्रयोग हो। महाकुंभ में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ओर से 10 जनवरी से 10 फरवरी तक के बीच ज्ञान महाकुंभ का आयोजन चल रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय