'मन की बात' से ख्याति प्राप्त उधमपुर के कलाकार गौरीनाथ को केंद्रीय मंत्री ने भेंट किया नया 'सारंगी' वाद्य यंत्र  

-देशवासियों को विरासत और लोकाचार से अवगत कराने की प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता की पुनरावृत्ति

नई दिल्ली, 13 नवंबर (हि.स.)। डोगरा संस्कृति और कला के प्रति सम्मान का एक अनूठा भाव प्रदर्शन करते हुए केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उधमपुर (जम्मू-कश्मीर) के एक प्रसिद्ध पारंपरिक डोगरा कलाकार गौरीनाथ को एक नया सारंगी संगीत वाद्ययंत्र भेंट किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने हाल के रेडियो कार्यक्रम मन की बात में उनका उल्लेख और प्रशंसा की थी। डा. जितेन्द्र सिंह लोकसभा में उधमपुर का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।

सारंगी वाद्य यंत्र भेंट करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से गौरीनाथ को दिवाली उपहार के रूप में नया सारंगी वाद्य यंत्र भेंट करने का निर्णय किया गया था लेकिन डॉ. जितेन्द्र सिंह के भाई के असामयिक निधन के कारण ऐसा नहीं हो सका। नतीजतन, शोक अवधि समाप्त होने के तुरंत बाद आज यह उपहार भेंट किया जा रहा है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम मन की बात के 115वें संस्करण में गौरीनाथ एक कलाकार के रूप में शामिल हुए थे, जिन्होंने अपनी पारिवारिक विरासत, सौ साल पुरानी सारंगी से दर्शकों का मन मोह लिया था। वे एक ऐसे कलाकार भी हैं, जो डोगरा विरासत का सार दिखाने वाली प्राचीन कहानियां और गीत साझा करते हैं।

मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गौरीनाथ की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक “असाधारण व्यक्ति” बताया, जिनके अपनी सांस्कृतिक जड़ों के प्रति समर्पण ने पारंपरिक कला के अद्वितीय संरक्षण को प्रेरित किया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के शब्द उधमपुर के लिए गर्व का क्षण थे, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे गौरीनाथ के अथक प्रयासों ने संगीत के माध्यम से क्षेत्र के समृद्ध इतिहास में जान फूंकी है। प्रधानमंत्री ने कहा, देश के विभिन्न हिस्सों में, कई असाधारण लोग हैं जो अपने-अपने अनूठे तरीकों से सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में लगे हुए हैं। उधमपुर के गौरीनाथ द्वारा भी ऐसा ही प्रयास किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री की मान्यता और गौरीनाथ के समर्पण से अभिभूत डॉ. जितेन्द्र सिंह ने डोगरा विरासत के संरक्षण के लिए समर्थन के तौर पर उन्हें एक नई सारंगी भेंट की और देशवासियों को भारत की विरासत की समृद्धि के प्रति जागरूक करने के प्रधानमंत्री मोदी के निरंतर प्रयासों को दोहराया। उन्होंने गौरीनाथ के शब्दों का एक उद्धरण भी साझा किया, यह सारंगी बहुत पुरानी है और यह पीढ़ियों से मेरे परिवार में चली आ रही है... मैं लोगों के घर जाता हूं और सारंगी बजाता हूं।

दरअसल, गौरीनाथ के लिए सारंगी एक वाद्य यंत्र से कहीं ज़्यादा है। यह उनके परिवार के इतिहास का एक पात्र है और डोगरा लोगों के लिए अतीत का एक पुल है। वह बताते हैं कि कैसे प्रत्येक प्रदर्शन क्षेत्र की ऐतिहासिक कहानियों की यात्रा है, क्योंकि सारंगी के सुर सभी उम्र के लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं, जिससे घरों और समारोहों में डोगरा विरासत जीवित रहती है। वह अक्सर गाँव-गाँव घूमते हैं, इन कहानियों और संगीत को साझा करते हैं, कभी-कभी पारिवारिक कार्यक्रमों और समारोहों में, और कहानी सुनाने की परंपरा को भी जीवित रखते हैं।

संगीत के सरल लेकिन शक्तिशाली प्रदर्शन के माध्यम से गौरीनाथ और उनकी सारंगी सांस्कृतिक जड़ों की ताकत और परंपरा की गर्मजोशी को दर्शाती है, जो उनकी धुनों को सुनने वालों के साथ प्रतिध्वनित होती है। तेजी से बदलते इस दौर में, उनकी भक्ति दर्शाती है कि विरासत का संरक्षण केवल इतिहास को जीवित रखने के बारे में नहीं है बल्कि भावी पीढ़ियों को अपनी विरासत और सांस्कृतिक पहचान को संजोने और अपनाने के लिए प्रेरित करने के बारे में भी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव

   

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