बाढ़ प्रबंधन एवं जल संचय - जन भागीदारी पहल पर बैठक

नई दिल्ली, 18 मार्च (हि.स.)। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के अध्यक्ष केशव चंद्रा ने मंगलवार को यहां जल संसाधन विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा श्रम शक्ति भवन में आयोजित बाढ़ प्रबंधन एवं जल संचय - जन भागीदारी पहल पर बैठक में भाग लिया।

इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, सीआर पाटिल ने की। इसमें एनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल , केंद्रीय जल आयोग , राष्ट्रीय जल मिशन , केंद्रीय भूजल बोर्ड और अन्य प्रमुख हितधारकों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में एनडीएमसी के अध्यक्ष

केशव चंद्रा ने एक विस्तृत पावरपॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से एनडीएमसी क्षेत्र में प्रभावी बाढ़ प्रबंधन और वर्षा जल संरक्षण की प्रमुख रणनीतियों को प्रस्तुत किया।

उन्होने बताया कि जल उपयोग को अनुकूलित करने के लिए एनडीएमसी ने अपने अधिकार क्षेत्र में वर्षा जल संचयन परियोजनाएं शुरू की हैं। इसमें क्रॉसवेव तकनीक पर आधारित मॉड्यूलर वर्षा जल संचयन गड्ढे शामिल हैं। यह एक किफायती और पर्यावरण अनुकूल समाधान है, जिसमें ईंटों और सीमेंट का न्यूनतम उपयोग किया जाता है, जिससे निर्माण लागत कम होती है। इन गड्ढों में पॉलीप्रोपाइलीन मॉड्यूल का उपयोग किया जाता है, जिन्हें जियो-टेक्सटाइल में लपेटा जाता है ताकि जल की गुणवत्ता बनी रहे। इन संरचनाओं की भार सहन करने की क्षमता उन्हें पार्किंग या उद्यानों के लिए उपयुक्त बनाती है और इनमें 95 प्रतिशत जल भंडारण की उच्च क्षमता होती है। संचयित जल का उपयोग भूजल पुनर्भरण, फव्वारों, सौंदर्यीकरण परियोजनाओं और एनडीएमसी क्षेत्र के हरे-भरे स्थानों के रखरखाव के लिए किया जाएगा।

बैठक में कुलजीत चहल ने जल संरक्षण में जन भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया और सभी हितधारकों से सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।

चहल ने बताया कि एनडीएमसी ने अब तक 272 वर्षा जल संचयन गड्ढों का निर्माण किया है, जिनमें 167 पारंपरिक गड्ढे और 105 मॉड्यूलर गड्ढे शामिल हैं। इनमें से 182 गड्ढों की सफाई की जा चुकी है और बाकी गड्ढों कि सफाई मई 2025 तक पूरी कर ली जाएगी । जल संरक्षण प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सीजीडब्ल्यूबी रिपोर्ट के अनुसार 30 किलोलीटर क्षमता वाले 95 नए जल संचयन गड्ढों का निर्माण किया जाएगा।

चहल ने आगे बताया कि एनडीएमसी ने 27 प्रमुख जलभराव स्थलों की पहचान की है, जिनमें पुराना किला रोड, गोल्फ लिंक, लोधी कॉलोनी, अफ्रीका एवेन्यू, एम्स फ्लाईओवर, बीकेएस मार्ग, कनॉट प्लेस और विनय मार्ग शामिल हैं। इन स्थलों पर जलभराव की समस्या से निपटने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने की योजना बनाई गई है।

आगे बाढ़ और जलभराव की समस्या के बारे में चहल ने बताया कि एनडीएमसी का 42.7 वर्ग किमी का जल निकासी नेटवर्क चार प्रमुख जल निकासी क्षेत्रों में फैला हुआ है। इसके समक्ष जलवायु परिवर्तन, बढ़ती वर्षा तीव्रता, सीमित जल निकासी क्षमता (25 मिमी प्रति घंटे), सुनहरी पुल्ला नाला और पुराना किला रोड जैसे प्रमुख आउटफॉल पर प्रतिकूल ढलान की समस्या और सीपीडब्ल्यूडी, एनबीसीसी, रेलवे और पीडब्ल्यूडी जैसी एजेंसियों द्वारा चल रही निर्माण परियोजनाओं से उत्पन्न जल प्रवाह अवरोध जैसी चुनौतियां हैं।

उन्होने कहा कि इन समस्याओं से निपटने के लिए, एनडीएमसी ने मानसून पूर्व तैयारी योजना लागू की है, जिसमें 11,867 मैनहोल, 8,704 बेलमाउथ और 7,177 चैम्बरों/गली ट्रैप्स की नियमित सफाई और प्रमुख नालों की गाद निकालने की प्रक्रिया शामिल है। प्रत्येक 45 दिनों में सफाई कार्य किया जाता है, और जून 2025 से पहले एक अतिरिक्त सफाई चक्र भी पूरा किया जाएगा। समयबद्ध सफाई सुनिश्चित करने के लिए एनडीएमसी ने 10 मशीनें तैनात की हैं।

चहल ने कहा कि जल निकासी और बाढ़ नियंत्रण के लिए अभिनव समाधानों के तहत एनडीएमसी ने रोबोटिक मशीनों, सुपर सकर्स और गैर-मैनुअल तरीकों से गाद निकालने के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। यह निविदा मार्च 2025 में खुलेगी और दयाल सिंह कॉलेज, लोधी रोड और डीटीसी डिपो में कार्यान्वित होगी। परियोजना को अप्रैल 2025 में ठेका दिया जाएगा और जून 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी

   

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