हिसार : तीन दिवसीय ध्यान शिविर के लिए सजने लगा ओशो उपवन, राज्यभर से पहुंचेंगे साधक
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- Apr 09, 2025

ओशो के छोटे भाई स्वामी शैलेंद्र सरस्वती जी का हिसार में होगा भव्य स्वागत,
13 को करेंगे महासत्संग
हिसार, 9 अप्रैल (हि.स.)। गुरु नानक देव जी की बाणी से साक्षात्कार करवाने,
आनंदमयी व उल्लासमयी जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करने एवं ओशो की देशनाओं को जन-जन
तक पहुंचाने के लिए ओशो ध्यान उपवन में 11 से 13 अप्रैल तक तीन दिवसीय ध्यान शिविर
का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही 13 अप्रैल को सतगुरु ओशो के छोटे भाई स्वामी शैलेंद्र सरस्वती व मां अमृत प्रिया एक ओंकार सतनाम
महासत्संग करके समभाव व समरसता की अलख जगाएंगे।
इस संबंध में बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान पठानकोट से पहुंचे
आचार्य चंद्रशेखर, ओशो ध्यान उपवन के संचालक स्वामी संजय व मां सांची ने तीन दिवसीय
ध्यान शिविर व एक ओंकार सतनाम महासत्संग के संदर्भ में विस्तृत चर्चा की। स्वामी संजय
ने बताया कि सिरसा रोड स्थित ओशो ध्यान उपवन को इस आयोजन के लिए सजाया जा रहा है। ध्यान
शिविर व सत्संग में प्रदेशभर से साधक हिस्सा लेंगे। इन साधकों के आवास व भोजन की समुचित
व्यवस्था ओशो ध्यान उपवन में ही रहेगी। उन्होंने बताया कि ध्यान शिविर में विभिन्न
सत्र आयोजित करके ध्यान के विविध पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी। इसके
साथ ही ध्यान का अभ्यास भी करवाया जाएगा। पत्रकार वार्ता के दौरान ध्यान शिविर व महासत्संग
से संबंधित पत्रक का लोकार्पण भी किया गया।
आचार्य चंद्रशेखर ने बताया कि 13 अप्रैल को एक ओंकार सतनाम महासत्संग के लिए
सतगुरु ओशो के छोटे भाई स्वामी शैलेंद्र सरस्वती हिसार पधार रहे हैं। उन्होंने बताया
कि ओशो ने गुरु नानक पर जो प्रवचन माला दी है उसी पर आधारित ध्यान शिविर व महासत्संग
रहेगा। उन्होंने बताया कि इस दौरान साधकों को मां अमृत प्रिया के प्रवचन सुनने का भी
अवसर मिलेगा। महासत्संग से पूर्व आधे घंटे की गीत-संगीत की विशेष प्रस्तुति भी रहेगी।
पत्रकार वार्ता के दौरान मां सांची ने बताया कि ओशो ध्यान उपवन साधकों के हितों
के प्रति समर्पित है। यहां समय-समय पर ध्यान शिविर व नियमित रूप से ध्यान सत्र का आयोजन
किया जाता है। इसी कड़ी में 11 अप्रैल से तीन दिवसीय ध्यान शिविर व महासत्संग का आयोजन
किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस वार्षिक आयोजन को लेकर साधक काफी उत्साहित हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर