आयुष्मान भारत योजना के मरीजों को बेवजह न किया जाए परेशान : जिलाधिकारी

कानपुर, 03 मार्च (हि.स.)। शासन की लाभकारी योजना आयुष्मान के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को बेहतर गुणवत्तापूर्ण इलाज मिले। साथ ही शासन की मंशा के अनुसार पारदर्शिता पूर्वक जीरो टॉलरेंस नीति के अनुसार भृष्टाचार मुक्त कार्य होना चाहिए। यदि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा कोई भी गलत कार्य किया जाता है। तो उसकी शिकायत सीधे मुझसे करे,। ताकि उस समस्या का निस्तारण किया जा सके। यह बातें सोमवार को जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने डीजीआरसी बैठक के दौरान कही।

आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत डीजीआरसी (जिला शिकायत निवारण समिति) की बैठक संपन्न हुई। इस समीक्षा बैठक में जनपद में आयुष्मान योजना अंतर्गत सूचीबद्ध कुल 228 चिकित्सालय हैं, जिनमें 167 निजी चिकित्सालय और 61 राजकीय चिकित्सालय है। जिसके अंतर्गत 77 चिकित्सालयों के 1010 सीडीपी केस रिजेक्ट हुए हैं। जिनका भुगतान नहीं किया गया। डीएम ने मौजूद समस्त नर्सिंग होम के प्रतिनिधियों को निर्देशित करते हुए कहा कि उनके द्वारा स्वयं एक-एक प्रकरणों की जांच करने के बाद ही समिति के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किया जाए। योजना के प्रभारी नोडल अधिकारी से कहा कि जनपद के 1010 सीपीडी रिजेक्ट एक-एक केसों की समीक्षा करते हुए सूची बनाई जाए कि किस नर्सिंग होम के कितने केस किस कारण से कब और कैसे रिजेक्ट हुए हैं।

प्रभारी नोडल अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि पूर्व में आयोजित डीजीआरसी की बैठक में रिजेक्ट केस कितने थे। उसकी सूची मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उपलब्ध कराई जाए। जिनके द्वारा आज ही लखनऊ उनके साचीज कार्यालय में जाकर एक-एक केसों की समीक्षा स्वयं किए जाने के निर्देश दिए। नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष भी ध्यान से सुने उनके द्वारा भी रिजेक्ट केसों के संदर्भ में एक सूची तैयार कर प्रस्तुत की जाए। बैठक में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी नोडल अधिकारी आयुष्मान भारत, नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. सरावगी समेत अन्य संबंधित नर्सिंग होम के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप

   

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