पौष (सोमवती) अमावस्या 30 दिसंबर सोमवार को मनाई जाएगी

जम्मू, 27 दिसंबर (हि.स.)। अमावस्या माह में एक बार ही आती है,अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव है जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। पौष अमावस्या के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन पितरों का पिंडदान और अन्य दान-पुण्य संबंधी कार्य किये जाते हैं,

धर्मग्रंथों के अनुसार जो भी मनुष्य इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करेगा उसे हर तरह से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। उसे सभी प्रकार के रोग और दुखों से मुक्ति प्राप्त होगी। अगर किसी कारण वश पिवत्र नदियों पर स्नान नहीं कर पाए तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और किसी गरीब को यथा शक्ति दान अवश्य करें,अमावस्या के दिन नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाना भी बड़ा ही फलदायी बताया जाता है। पौष सोमवती अमावस्या तिथि का आरंभ 30 दिसंबर सोमवार सुबह 04 बजकर 02 मिनट से होगा और 31 दिसंबर मंगलवार को सुबह 03 बजकर 57 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी। सूर्य उदय व्यापिनी पौष (सोमवती) अमावस्या 30 दिसंबर सोमवार होने के कारण इस वर्ष पौष (सोमवती) अमावस्या 30 दिसंबर सोमवार को ही होगी।

अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। अमावस्या को शास्त्र में बहुत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन ये कुछ उपाय करने से आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है। आपको शुभ फल प्राप्त होता है। अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय काल में पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा साम‌र्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

   

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